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केरल में हाथियों के लिए वेलनेस ट्रीटमेंट शुरू, खिलाए जाएंगे ‘च्यवनप्राश’ जैसे आयुर्वेद व्यंजन

तिरुवनंतपुरम: मलयालम कैलेंडर के अनुसार ‘कारकिदकम’ का महीना रविवार से शुरू हो गया है। इसी के साथ हाथियों का वेलनेस ट्रीटमेंट (wellness treatment) भी शुरू हो गया हैं। कोरोना महामारी के कारण पिछले दो वर्षो में हाथियों के लिए कोई वेलनेस ट्रीटमेंट नहीं था। रविवार से त्रिशूर में शुरू कार्यक्रमों में 17 से अधिक हाथियों ने भाग लिया। रविवार को केरल के राजस्व मंत्री के. राजन ने त्रिशूर परमेक्कावु मंदिर परिसर में हाथियों के लिए वेलनेस ट्रीटमेंट (wellness treatment) के समारोह का उद्घाटन किया और सबसे पुराने हाथी चंद्रशेखरन को सम्मानित किया, जिसकी उम्र 90 वर्ष है।

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केरल में व्यक्तियों के साथ-साथ मंदिरों के स्वामित्व वाले लगभग 700 बंदी हाथी हैं और उनमें से अधिकतर को ‘कारिकडकोम’ महीने के दौरान आयुर्वेदिक वेलनेस ट्रीटमेंट (wellness treatment) प्रदान किया जाता है। हाथियों के लिए पारंपरिक दावत ‘अनयुतु’ की शुरुआत परमेक्कावु मंदिर परिसर में हुई और वहीं वेलनेस ट्रीटमेंट की शुरुआत हुई। भक्त और स्थानीय लोग हाथियों को गन्ना, गुड़, चावल, केला, नारियल के पत्ते, ताड़ के पत्ते आदि भोजन उपलब्ध कराते हैं।

‘कार्किदाकम’ के महीने में हाथियों को आयुर्वेद ट्रीटमेंट दिया जाता है, जिसमें हाथियों को ‘च्यवनप्राश’ जैसे आयुर्वेद व्यंजनों का मिश्रण खिलाना शामिल है। विशेष रूप से, एक हाथी को 3000 रुपये से 10,000 रुपये प्रति दिन की दर से किराए पर लिया जाता है और लगभग हर दिन, हाथी मंदिर के कार्यो और स्कूल के काम में भाग लेने के लिए और यहां तक कि शादियों में भी कुछ समय के लिए धूप में दूर सड़कों पर मीलों पैदल चलते हैं। ऐसे में वेलनेस ट्रीटमेंट (wellness treatment) हाथियों के लिए काफी जरूरी है।

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