लखनऊः देश में नौ सालों में पहली बार मई माह में ’लू’ नहीं चली। मौसम वैज्ञानिकों ने इसके पीछे अत्यधिक पष्चिमी विक्षोभों के आने को मुख्य वजह बतायी है। इस वजह से जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिससे इस बार मानसून के भी देरी से आने की आशंका जतायी गयी है। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने बताया कि हर साल देश के विभिन्न राज्यों में भीषण गर्मी पड़ती थी। लेकिन बीते कुछ सालों पर नजर डालें तो जून माह में देश के कई राज्यों में तेज गर्मी के साथ ’लू’ चलती है और तापमान भी 50 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच जाता है।
नौ साल में पहली बार मई माह में नहीं चली ’लू’
वैज्ञानिक सुनील पांडेय ने बताया कि भारत में मार्च महीने से ही तापमान बढ़ने का ये सिलसिला शुरू हो जाता है और अप्रैल-मई माह के आने तक गर्मी अपने चरम पर पहुंच जाती है। लेकिन इस साल अप्रैल में 11 से लेकर 20 तारीख और मई में 6 तारीख से लेकर 12 तारीख तक हीट वेव रही है। बीते नौ सालों में पहली बार ऐसा देखने को मिला है जब मई माह में लू के गर्म थपेड़ों की जगह तापमान में गिरावट दर्ज की गयी है। वहीं देश के कई राज्यों में बिन मौसम बरसात का सिलसिला भी जारी है। यह उत्तरी भारत तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि दक्षिण, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत में भी यही हालात रहे हैं।
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15 जून तक मानसून देगा दस्तक
मौसम वैज्ञानिकों ने मानसून के आगमन को लेकर बड़ी जानकारी दी है। पिछले 11 दिनों से रुके हुए मानसून ने फिर गति पकड़ ली है और यह बंगाल की खाड़ी में आगे बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में यह पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप को कवर करते हुए म्यांमार की ओर आगे बढ़ जाएगा। मौसम विभाग के अनुसार देश के अधिकतर राज्यों में 15 जून तक मानसून दस्तक देगा।
अप्रैल-मई माह में बिना मौसम क्यों हुई बरसात?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस साल अप्रैल-मई महीने में बिन मौसम बरसात हुई। जिसका कारण क्लाइमेट चेंज और वेस्टर्न डिस्टरबेंस रहा है। वर्ष 2023 के अप्रैल माह में लगातार 5 वेस्टर्न डिस्टरबेंस आए और यह आगे भी जारी रहेगा। इस बार आने वाले वेस्टर्न डिस्टरबेंस बीते वर्ष से कहीं ज्यादा हैं।
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