UP Weather: मौसम ने बदला रूख, किसान हुए सतर्क, कृषि वैज्ञानिक बोले- गेहूं बोने वाले किसान न हों परेशान 

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UP Weather, लखनऊः इस बार मौसम का रूख स्पष्ट है। जनवरी और फरवरी के बीच कई बार मौसम का उतार-चढ़ाव आया, लेकिन किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, इस बार आम का रूख अभी बदला हुआ है। गेहूं के लिए भी अभी एक सप्ताह तक मौसम अभी अनुकूल है। मौसम में तापमान की बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन इससे किसानों को किसी प्रकार से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। पिछले महीने कई बार मौसम का रूख बदला।

तेज बारिश की संभावनाओं के बाद भी मौसम ने किसी प्रकार से किसानों का नुकसान नहीं किया। जिस मौसम का किसानों ने सामना किया, वह गेहूं के लिए फायदेमंद रहा। फसल के लिए ठंड के साथ ही कोहरा भी फायदेमंद माना गया। यही हाल फरवरी के दूसरे सप्ताह तक बना रहा। इस मौसम में किसानों को खेतों को सींचने में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं हुई। हालांकि, 15 और 16 फरवरी को तापमान में बढ़ोत्तरी हुई है। इससे कुछ किसानों की चिंता बढ़ गई है।

बढ़ती गर्मी गेहूं की फसल पहुंचाएंगी नुकसान

बढ़ती गर्मी गेहूं की फसल के लिए महंगी साबित होती है, क्योंकि इसमें पानी की खपत बढ़ जाती है, बावजूद इसके कोहरा दिसंबर के मध्य से जनवरी के अंत तक बना रहा। इस दौरान तापमान में गिरावट भी रही। किसान धीरेंद्र सिंह कहते हैं कि इस बार गेहूं की फसल देर से बोई गई थी। बोनी के बाद इसको भी दिसंबर और जनवरी का महीना मिला। अब फरवरी के 12 दिन भी बेहतर बीते। धीरेंद्र कहते हैं कि दाने मोटे होने में किसी प्रकार की मौसमी दिक्कत नहीं है। किसान विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसके गुप्ता बताते हैं कि फिलहाल अभी हवाएं ऐसी नहीं हैं, जिससे गेहूं की फसल को किसी प्रकार का नुकसान हो।

इन दिनों यदि खेतों को पानी मिल रहा है तो वह आने वाले दिनों के लिए बेहतर साबित होगा। नवंबर के अंतिम सप्ताह तक बोनी करने वाले किसानों को इस बार अच्छा लाभ मिल सकता है। आंधी और ओले के साथ ज्यादा बारिश आस-पास किसी क्षेत्र में नहीं हुई। यह गेहूं और आम दोनों फसलों के लिए अच्छे संकेत हैं। जो बोनी बाद की है उसकी बढ़वार रुकेगी और दाना भी बिना बढ़े जल्दी पक जाएंगे। गेहूं की फसलों को बढ़ते तापमान के प्रभाव से बचाने के लिए कुछ दवाएं बाजार में आ चुकी हैं।

इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। बक्शी का तालाब से किसान वैज्ञानिक डाॅ. सत्येंद्र कहते हैं कि बिना परिस्थिति को समझे या किसी किसान वैज्ञानिक को फसल की जानकारी दिए बिना किसी दवा का इस्तेमाल न करें। उन्होंने बताया कि एक विकल्प के रूप में दवा का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसका वीडियो लेकर किसान वैज्ञानिक को दवा के इस्तेमाल से पहले दिखाएं। उनके परामर्श के बाद ही कोई दूसर कदम उठाएं अन्यथा बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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 आम को लेकर परेशान हैं किसान

14 फरवरी के बाद से ही गर्मी बढ़ने लगी है। वसंत का मौसम भी शुरू हो चुका है। इन दिनों आम के पेड़ पर बौर लगने की शुरूआत हो जाती थी। इस बार ऐसा नहीं है। काफी तलाशने के बाद ही आम के पेड़ पर बौर दिख रहे है। ऐसे में किसानों की परेशानी का कारण तो बन रहा है, लेकिन बागवान इसे सामान्य मान रहे हैं। मलिहाबाद के किसान राजेश यादव आम का व्यवसाय करते हैं। आम की पेड़ों की देखभाल भी राजेश के कारोबार में शामिल है।

वह बताते हैं कि सीजन तो अब आया है। जून और जुलाई में आम पकता है। अभी फरवरी चल रहा है। वह बताते हैं कि बौर निकलने और उसके घना होने में मात्र 15 दिन का समय लगता है इसलिए किसान भ्रम न पालें। अपने बागों को पानी दें ताकि मिट्टी में कीट न रहें और पेड़ों को शक्ति मिले। बौर आने पर इनसे निकलने वाली फलियां टूटकर गिरेंगे नहीं।

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