अक्षय तृतीया पर बाल विवाह पर रहेगी नजर, गांवों में सक्रिय हुईं पुलिस-प्रशासन की टीमें

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धमतरी: बाल विवाह अपराध है, यह जानते हुए भी कई परिवार के लोग अभी भी नाबालिग लड़के व लड़कियों का शादी कराने कोशिश करते हैं। पिछले सवा छह सालों में जिला बाल संरक्षण विभाग धमतरी ने जिलेभर के गांवों में होने वाली 71 बाल विवाह पर रोक लगाई है।

समय-समय पर शहर व ग्रामीण अंचलों में बाल विवाह की शिकायतें मिलती है, इस पर जिला बाल संरक्षण विभाग कार्रवाई करती है। शादी स्थल पहुंचकर बाल विवाह पर रोक लगाती है। लगातार कार्रवाई होने से अब बाल विवाह करने लोगों में दहशत है। अक्षय तृतीया के दिन बाल विवाह होने की आशंका रहती है, ऐसे में जिला बाल संरक्षण विभाग सकि्रय है, ताकि बाल विवाह रोका जा सके।

बाल विवाह को रोकने के लिए पिछले सवा छह सालों से जिले में जिला बाल संरक्षण विभाग कार्यरत है, जो हर साल बाल विवाह रोक कर कार्रवाई करते हैं। जिला बाल संरक्षण अधिकारी आनंद पाठक ने बताया कि वर्ष 2016-17 से अब तक जिले में कुल 71 बाल विवाह जैसे अपराध को रोके हैं। हर साल बाल विवाह पर कार्रवाई होने से अब बाल विवाह की शिकायतें कम हो गए हैं। वर्ष 2023 में कुरूद व मगरलोड ब्लाक के कुछ गांवों में हो रहे चार बाल विवाह रोके हैं। दोनों पक्षों को समझाईश देकर बालिग होने पर शादी करने दोनों पक्षों का लिखित समझौता कराते हैं। साथ ही इन परिवारों को बाल विवाह को अपराध होने की जानकारी देकर इसे करने पर होने वाले सजा की जानकारी देते हैं।

बाल विवाह होने पर जानकारी देने के लिए गांव-गांव में ग्रामीण स्तर पर समितियां बनाई गई है। साथ ही ग्रामीणों से संपर्क रखा जाता है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत 21 साल से कम उम्र के लड़के या 18 साल से कम उम्र की लड़की से विवाह करना अपराध है। इस अपराध के लिए दोनों पक्षों पर कार्रवाई का प्रवधान है। वहीं बारात में शामिल होने वाले लोग, पंडित व रिश्तेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई होती है।

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अक्षय तृतीया पर बाल विवाह होने की आशंका –

अंचल में अक्षय तृतीया का पर्व 22 अप्रैल को मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां शहर व ग्रामीण अंचलों में शुरू हो गई हैं। साथ ही इस दिन शहर व ग्रामीण अंचलों में कई शादियां होती हैं। इस दिन बाल विवाह होने की आशंका रहता है, ऐसे में जिला बाल संरक्षण विभाग की टीम सक्रिय है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी आनंद पाठक ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए जिला बाल संरक्षण, पुलिस, श्रम विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की टीम बनती है, जो कार्रवाई करने पहुंचती है। वहीं बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है, जो गांवों में होने वाले बाल विवाह की जानकारी देते हैं। साथ ही पुलिस भी सक्रिय रहते हैं।

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