चेन्नई: तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गांव में जमीन बेचने के लिए वक्फ बोर्ड की अनुमति लिए जाने के आरोप के बाद प्रभावित पक्षों की श्रीरंगम में एक शांति बैठक हुई, जिसमें फैसला लिया गया कि जमीन बेचने के लिए वक्फ बोर्ड से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। तिरुचेंदुरई क्षेत्र में एक बड़ा विवाद तब पैदा हो गया जब तिरुचि के संयुक्त उप-रजिस्ट्रार ने एक व्यक्ति राजगोपाल से वक्फ बोर्ड ने नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लाने को कहा। राजगोपाल तिरुचेंदुरई गांव में एक एकड़ कृषि भूमि का मालिक है।
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वक्फ बोर्ड ने तिरुचि में सब रजिस्ट्रार को पत्र भेज कर कहा था कि तिरुचेंदुरई गांव में 480 एकड़ का पूरा भूखंड उसी का है। वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा कि जो लोग गांव में जमीन बेचना चाहते हैं, उन्हें वक्फ बोर्ड से एनओसी प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसके विरोध में स्थानीय लोगों ने हंगामा खड़ा कर दिया और उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो तिरुचेंदुरई में चंद्रशेखर स्वामी मंदिर भी वक्फ बोर्ड का होगा। लोगों ने मामले को तिरुचि जिला कलेक्टर के सामने उठाया और वक्फ बोर्ड के दावे के खिलाफ आंदोलन करने की धमकी दी। स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि उनके पास पट्टा, चिट्टा, अदंगल, और राजस्व विभाग द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र हैं और मदीन अकादमी का दावा झूठा है।
बुधवार को श्रीरंगम में हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि तिरुचेंदुरई गांव में टाइटल डीड का पंजीकरण हमेशा की तरह होगा और इसमें कोई बाधा नहीं है। तमिलनाडु के पंजीकरण महानिरीक्षक ने वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए दावों पर आगे की विस्तृत जांच के लिए मामले को उठाया है। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है जो राज्य में वक्फ संस्थानों और संपत्तियों की देखरेख और प्रबंधन करता है।
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