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मतदाता की विशिष्ट पहचान, रुकेगा फर्जी मतदान

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भारत में फर्जी मतदान और दो जगहों पर दर्ज मतदाता, लोकतंत्र के लिए शुरू से बड़ी चुनौती रहे हैं। लेकिन अब बहुत जल्द यह सब बीते दिनों की बातें होकर रह जाएंगी। निश्चित रूप से इसके लिए तकनीक का ही सहारा होगा। यह दौर दुनिया में तकनीक का है। पहचान से लेकर सुरक्षा और आम जीवन के हर क्षेत्र में तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो रही है।

तकनीक के चलते ही डिजिटल से लेकर कैशलेस और पेपरलेस होने की अवधारणा न केवल सही हुई है बल्कि काफी हद तक करोड़ों-करोड़ पेड़ों को बचाकर पर्यावरण के लिए भी उपयोगी साबित हुई। ऐसे में बहुत जल्द ही वह दौर आएगा जब हरेक इंसान यहाँ तक कि हर किसी की चाहे वस्तु हो या इंसान या जीव-जन्तु सबकी पहचान बस कोडिंग से होगी। इसकी शुरुआत हो चुकी है और तेजी से हर रोज दुनिया भर में विस्तार हो भी रहा है। यदि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो जो बचा-खुचा है वह तेजी से कोडिंग या नंबरों की दुनिया में सिमट कर रह जाएगा और सबकी अपनी एक डिजिटल और यूनिवर्सल पहचान होगी। ऐसे में बस चंद बरस बल्कि कहें कि कुछ महीने शेष रह गए हैं जब भारत में फर्जी मतदाता और मतदान जो दो जगह नाम दर्ज होने या फर्जी पहचान पत्र के चलते बड़े पैमाने पर होता था, बीते दिनों की बातें हो जाएँगी।

तैयारी कुछ इस तरह से हो रही है कि अगले आम चुनाव यानी 2024 तक सारे देश के मतदाताओं की अपनी यूनिक पहचान होगी जिससे अक्सर एक व्यक्ति के एक से ज्यादा मतदाता पहचान पत्र होने या मतदाता सूची में नाम दर्ज होने पर रोक लग जाएगी और सही मतदाता ही सही ठिकाने पर मतदान कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने मतदाता परिचय पत्र यानी मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने यानी लिंक करने के आदेश दे दिए हैं। इस पर 1 अगस्त से काम भी शुरू हो रहा है। जल्द ही पूरे देश में मतदाताओं को आधार के जरिए लिंक किया जाएगा। हालांकि पहले से ही आधार कार्ड को कई जरूरी दस्तावेजों से जोड़ने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। हाँ यदि उसी समय यह दूरदर्शी कदम उठा लिया जाता तो एक साथ दोनों काम हो सकते थे। इससे काफी धन व समय दोनों की बचत होती और अब तक कई चुनाव फर्जी मतदाताओं से बेदाग हो चुके होते।

इसी 25 मार्च को लोकसभा में प्रश्नकाल में सदस्यों के पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी बताया था कि सरकार देश में फर्जी मतदान रोकने के लिए एक देश, एक मतदाता सूची की अवधारणा पर भी विचार कर रही है। इसके साथ ऑनलाइन मतदान प्रणाली पर भी विचार की बात कही थी। पूरे देश में फर्जी मतदान रोकने के लिए सभी राज्यों एवं केंद्र शासित राज्यों के लिए केवल एक ही मतदाता सूची लाने का विचार है। किरेन रिजिजू ने यह भी बताया था कि निर्वाचन आयोग से इस संबंध में बात हुई है। मतदाता सूची को आधार के साथ लिंक करने का प्रावधान रखा गया है। अभी यह स्वैच्छिक है लेकिन देर-सबेर अनिवार्य तो होना ही है। सरकार की इस पहल से फर्जी मतदान एक झटके में रुक जाएगा। हालांकि वर्तमान में भी फर्जी मतदाताओं को पकड़ने और उन्हें दंडित किए जाने के लिए कानून में प्रावधान है लेकिन यह भी सच है कि कहीं न कहीं फर्जी मतदाताओं का उपयोग प्रभावशाली राजनीतिक दल या लोग करते थे जिस पर अंततोगत्वा ज्यादा कुछ हो नहीं पाता था।

अक्सर चुनावों के समय हर कहीं से फर्जी मतदाताओं को जोड़ने या मतदान कराने की शिकायतें हमारे देश में आम हैं। कहीं सैकड़ों की संख्या में तो कहीं हजारों की संख्या में बोगस नामों को जोड़ने के न जाने कितने मामले सुनने में आते हैं। लेकिन बावजूद तमाम चुनावी सुधारों और कवायदों के न तो फर्जी मतदाता रुक पा रहे थे और न फर्जी मतदान। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहले ग्रामीण व दूर दराज वाली जगहों पर दबंगों का कब्जा या बूथ पर लठैतों का पेटी लूटकर मतदान पत्र छापने की बातें खूब होती थीं। अब ईवीएम लूटने, बटन दबाने की घटनाएँ भी सामने आईं। मतदाताओं को डरा- धमका कर भी मतदान कराने की बातें हुईं। लेकिन बावजूद इन सबके चुनाव सुधार से इनकार नहीं किया जा सकता। अब जब फर्जी मतदाता रोकने या एक मतदाता एक मतदान की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है जिससे आधार से लिंक होते ही व्यक्ति की पहचान हो जाएगी।

केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के बाद एक से ज्यादा मतदाता परिचय पत्र रखने वालों पर रोक लगेगी और चुनाव व्यवस्था बेहतर होगी जिससे फर्जी मतदान नहीं होगा। नए नियमों के अनुसार 1 अप्रैल 2023 या उससे पहले तक वोटर लिस्ट में जिनके भी नाम हैं, उन्हें अपना आधार नंबर बताना होगा। 1 अगस्त 2022 से प्रस्तावित नए बदलाव में फॉर्म 6बी भरकर देना होगा। यदि किसी मतदाता के पास आधार ना भी हो तो उसे लिखकर देना होगा। लेकिन यहाँ भी दोहरे मतदाता परिचय पत्र से बचने के लिए सरकार ने एक तरीका ढूंढ निकाला है जिसमें आधार न होने पर मतदाता परिचय पत्र को 11 दस्तावेजों में से क्रॉस चेक के जरिए जरिए प्रमाणित करवाना होगा। इससे मतदाता सूची में नाम जोड़ने और जुड़वाने वाले बीएलओ या मतदाता दोनों ही खुद-ब-खुद राडार पर आ जाएँगे। जाहिर है आधार से जुड़ते ही सबकुछ साफ हो जाएगा। निश्चित रूप से खामियों या साजिशन होने वाले फर्जी मतदान पर रोक लग जाएगी।

चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए केवल 1-2 प्रतिशत मत ही काफी होते हैं। ऐसे में इतने ही फर्जी मतदाताओं से मतदान करा जीतने वालों के अंकगणित पर पानी फिर जाएगा। इसमें अक्सर बुर्के और घूँघट पर भी मतदान के दौरान सवाल उठते रहे हैं। अब संभव है कि मतदान के दौरान मतदाता की पहचान हाईटेक बायोमैट्रिक पद्धति से हो, जिससे बोगस मतदान असंभव हो जाए और स्वचलित रूप से मतदाता की उपस्थिति का आंकड़ा ईवीएम से इतर अलग मशीन में फीड किया जाए जिससे हर वक्त मतदान का प्रतिशत पता रहे तथा मतदान दल का समय और सहूलियतें भी बढ़ेंगी। साथ ही फर्जी मतदान पर भी पूर्ण विराम लगेगा। वैसे भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली, गैस सब्सीडी, बैंक खातों, तमाम सरकारी योजनाओं में आधार अनिवार्य है तो मतदान के लिए भी इसे अनिवार्य कर फर्जी मतदाता व मतदान को तो रोका ही जा सकता है। यकीनन मतदाता को आधार से लिंक करना एक बड़ा सुधारवादी कदम होना तय है।

ऋतुपर्ण दवे