Thursday, December 26, 2024
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आपका बच्चा भी मोबाइल का लती है, तो जान लें आने वाले खतरे के बारे में

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नई दिल्लीः ‘मम्मी, मुझे मोबाइल देखना है… बस थोड़ी देर देखकर दे दूंगा।’ आपने भी अपने घर में इस तरह की बातें अपने बच्चे से जरूर सुनी होंगी। मोबाइल देखने से बच्चों की आंखों और उनके दिमाग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, यह तो सब जानते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि मोबाइल देखने से नौनिहाल वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) की गिरफ्त में आ रहे हैं। अगर आपके बच्चे को भी मोबाइल देखने की आदत है तो अब समय है कि आप सचेत हो जाएं। बच्चों को मोबाइल से कैसे दूर रखें, इस पर चर्चा करने से पहले आइए जानते हैं वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) के बारे में।

आजकल माता-पिता बच्चों की शिकायतों को दूर करने के लिए उनकी हर जिद पूरी करने लगते हैं। कई बार ये जिद खेल-खिलौनो या गिफ्ट्स से पूरी होती है और कई बार मोबाइल से। धीरे-धीरे यही आदत लत में बदल जाती है और बच्चे मोबाइल की मांग पूरी करने के लिए रोते-चिल्लाते हैं। मोबाइल की यही लत बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर बना रही है, जिससे आगे चलकर बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) के शिकार बनते जा रहे हैं।

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वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) के लक्षण –

1. बच्चों में चिड़चिड़ापन का बढ़ना
2. अपने आप में खोए रहना और चुप-चुप रहना
3. एक्टिवनेस कम हो जाना
4. दो साल के बाद भी बोलने में कठिनाई
5. आपके बुलाने पर भी ध्यान न देना
6. पढ़ने-लिखने में एकाग्रता की कमी
7. आई-कांटेक्ट बनाने में परेशानी
8. एक ही एक्टिविटी को बार-बार दोहराना

वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) से बच्चों को कैसे बचाएं –

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अगर आपका बच्चे की उम्र तीन साल से कम है, तो उसे बिल्कुल मोबाइल फोन न दें। पांच साल की उम्र तक बच्चों के दिमाग का विकास होता है और ऐसे में मोबाइल की लत से उनके मानसिक विकास के अवरुद्ध होने का खतरा होता है। आइए जानते हैं कि बच्चों को मोबाइल के लत से कैसे दूर रखें –

बच्चों के लिए निकालें समय –

रोज की भागदौड़ वाली जिंदगी में हम लोग कई चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। कई बार हमारे पास समय की कमी होती है या फिर किसी अन्य कारणों से हम छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते। बच्चों की जरूरते भी उनमें से एक है। जी हां, हम कहीं न कहीं बच्चों की कुछ जरूरतों को नजरअंदाज करते जा रहे हैं। यह जरूरत है समय। बच्चों को सबसे ज्यादा जरूरत अपने पेरेंट्स के समय की होती है। उनके ओवरऑल डेवलपमेंट में आपके समय की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसलिए, कोशिश करें कि जब आप काम न कर रहे हों, तब अपने बच्चों को अपना पूरा समय दें।

समय निर्धारित करें –

अपने बच्चे के लिए पूरे दिन का एक रूटिन चार्ट तैयार करें। उनके सुबह उठने से लेकर खेलने, पढ़ने और खाने तक का समय निर्धारित करें। इसमें ही उनके लिए टीवी देखने का भी आधे घंटे का समय रखें। इससे बच्चे बोर भी नहीं होंगे और मोबाइल से भी आप उन्हें दूर रख सकेंगी। इस रूटिन चार्ट को फाॅलो करने की कोशिश करें। शुरुआत में मुश्किलें आएंगी, लेकिन धीरे-धीरे आदत बन जाने पर बच्चे खुद ही रूटिन फॉलो करने लगेंगे।

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खेल के साथ एक्टिविटी भी करें –

बच्चों को तरह-तरह की एक्टिविटीज पसंद होती हैं। आप उनके साथ कलरिंग कर सकते हैं या कोई क्राफ्ट बना सकते हैं। इसमें आप उन्हें भी शामिल करें। उन्हें छोटे-छोटे काम दें। जैसे – क्राफ्ट बनाने के दौरान उन्हें ग्लू लगाने दें या फिर कलर करने का मौका दें। इससे उनकी इमेजिनेशन पावर बढ़ेगी। आप एक्टिविटी बुक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें तरह-तरह के पजल्स होते हैं, जो बच्चों को पसंद आएंगे।

एक्सरसाइज व योग को करें शामिल –

एक्सरसाइज करना जितना बड़ों के लिए जरूरी है, उतना ही जरूरी यह बच्चों के लिए है। बच्चे अपने बड़ों का अनुसरण करते हैं, इसलिए आप पहले खुद एक्सरसाइज व योग करें और बच्चों को भी करने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका तन और मन दोनों स्वस्थ रहेंगे।

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