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रोहित-कोहली को ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ क्यों ? BCCI पर भड़का यह पूर्व भारतीय दिग्गज

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नई दिल्ली: चेपॉक में बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया का दबदबा रहा और मेहमान टीम को 280 रनों से हराकर भारत ने दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली। लेकिन जीत के बावजूद BCCI और रोहित ब्रिगेड सवालों के घेरे में है। खास तौर पर विराट कोहली (Virat Kohli) और रोहित शर्मा (Rohit Sharma ) की फॉर्म पर सवाल उठ रहे हैं।

पूर्व भारतीय दिग्गज संजय मांजरेकर ने उठाए सवाल

यह सवाल कोई और नहीं बल्कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर और विश्लेषक संजय मांजरेकर (Sanjay Manjrekar) ने उठाया है, उनका कहना है कि बीसीसीआई विराट कोहली और रोहित शर्मा को स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों दे रही है। साथ ही उनके मुताबिक इन दोनों दिग्गज क्रिकेटरों को ब्रेक लेने के बजाय इस टेस्ट सीरीज से पहले दलीप ट्रॉफी खेलनी चाहिए थी। उनकी यह टिप्पणी बांग्लादेश के खिलाफ चेपॉक टेस्ट के बाद आई है, जहां दोनों पारियों में विराट और रोहित का बल्ला खामोश रहा। हालांकि टीम के अन्य खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया और जीत हासिल की।

चेपॉक में कोहली ने 21 तो रोहित ने बनाए थे 11 रन

बता दें कि ​​चेपॉक टेस्ट में रोहित शर्मा के बल्ले से कुल 11 रन निकले, जबकि विराट कोहली ने सिर्फ 21 रन बनाए थे। दोनों बल्लेबाजों को दलीप ट्रॉफी में खेलने से छूट दी गई थी और मांजरेकर ने दोनों के प्रति बीसीसीआई के रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा है कि उनके टूर्नामेंट में नहीं खेलने से भारतीय क्रिकेट को नुकसान हुआ है।

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मांजरेकर ने कहा, “मैं चिंतित नहीं हूं, लेकिन मुझे यकीन है कि किसी ने इस बात पर गौर किया होगा कि अगर वे लाल गेंद से क्रिकेट खेलते तो उनका प्रदर्शन बेहतर हो सकता था। उनके पास दलीप ट्रॉफी चुनने का विकल्प था।” उन्होंने आगे कहा, “इसलिए हमें कुछ खिलाड़ियों के साथ विशेष व्यवहार से बचना चाहिए था। उन्हें भारतीय क्रिकेट और खिलाड़ी के लिए सबसे अच्छा विकल्प तलाशना चाहिए। विराट और रोहित का दलीप ट्रॉफी में नहीं खेलना भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं था, न ही यह दोनों खिलाड़ियों के लिए अच्छा था। अगर वे दलीप ट्रॉफी खेलते और लाल गेंद से क्रिकेट में कुछ समय बिताते तो चीजें अलग होतीं।”

बड़े खिलाड़ियों का घरेलू क्रिकेट न खेलना चिंता का विषय

मांजरेकर ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि दोनों भारतीय क्रिकेट के बड़े खिलाड़ी हैं। उनके लिए फॉर्म हासिल करना कोई बड़ी चुनौती नहीं है। लेकिन लाल गेंद से क्रिकेट बहुत सीमित हो गया है। वे दोनों निश्चित रूप से प्रतिष्ठित खिलाड़ी हैं, लेकिन वे आखिरकार इंसान हैं।

अगर वे लाल गेंद से कुछ समय बिताते तो परिणाम बेहतर होते। कई पूर्व क्रिकेटरों ने स्टार भारतीय क्रिकेटरों के घरेलू सर्किट में नहीं खेलने पर चिंता व्यक्त की है। बीसीसीआई ने भी इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है लेकिन यह चर्चा बार-बार सामने आती रही है। ऐसे में मांजरेकर का यह बयान इस मुद्दे को और हवा दे सकता है।

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