उत्तर प्रदेश

योगी की जेल में वीआईपी सुविधाएं ना मिलने के अंदेशे से मुख्तार टीम में हलचल

गाजीपुरः वर्ष 2005 से अब तक लगभग 16 वर्षों तक जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को लगभग सारी वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध होती रही हैं। कहा जाता रहा है कि सपा प्रशासन में तो जेल बाहुबली विधायक के लिए वीआईपी डाक बंगला का स्वरूप अख्तियार कर लेता रहा है। वहीं अन्य सरकारों में भी मुख्तार की व्यवस्था में कोई दिक्कत नहीं आ सकी। लेकिन मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जेल में बंद मुख्तार अंसारी को उपलब्ध सुविधाओं में कुछ बाधाएं आने लगी। इन समस्याओं को देखते हुए मुख्तार ने पंजाब की ओर रुख कर लिया। जो पिछले ढाई वर्षों से कांग्रेस शासित पंजाब के रोपण जिला जेल में आराम फरमाता रहा। लेकिन जब पुनः काफी मशक्कत व न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद मुख्तार को यूपी आना पड़ रहा है तो ऐसे में उनके समर्थक काफी हैरान परेशान नजर आ रहे हैं।

नवंबर 2005 में मुख्तार अंसारी खुद अपनी जमानत रद्द करवाकर गाजीपुर जिला जेल पहुंचे। जहां सपा शासन के दौरान जेल से ही मुख्तार का साम्राज्य चलने लगा। लोगों की मानें तो खुद की जमानत करवाकर जेल में जाना मुख्तार की योजना का हिस्सा रहा। जहां उसके जेल जाने के कुछ दिनों बाद ही कट्टर विरोधी तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की उनके सात साथियों सहित निर्ममता से हत्या कर दी गई। बताते चलें कि सपा शासनकाल में जिला जेल गाजीपुर में बंद मुख्तार अंसारी को वह सारी सुविधाएं मुहैया होती रही जो एक सामान्य व्यक्ति को जेल के बाहर भी नहीं प्राप्त हो सकती थी। मुख्तार के लिए जेल में ताजी मछली खाने को तालाब की व्यवस्था, क्रिकेट खेलने के लिए क्रिकेट पिच के साथ ही बासमती चावल का आनंद लेने के लिए स्पेशल धान की खेती करवायी जाती रही। इसके साथ ही ‘मुख्तार दरबार’ व जेल के अंदर उनके खास शूटरों की तैनाती चर्चा का विषय बनी रही। वर्ष 2007 के बाद प्रदेश का निजाम बदला लेकिन मुख्तार की व्यवस्था नहीं बदली। हालांकि थोड़ी बहुत दिक्कतें आई लेकिन पार्टी व गुट बदलने में माहिर मुख्तार अंसारी बसपा में आ गए। 2012 में पुनः सपा की सरकार बनने के बाद व्यवस्था जस की तस बनी रही। ऐसे में कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रदेश के निजाम बदले लेकिन मुख्तार की व्यवस्था चकाचक बनी रही। इस दौरान बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को गाजीपुर, लखनऊ, आगरा सहित कई जेलों में रहना पड़ा, लेकिन उनकी बादशाहत में कोई कमी नहीं आ सकी। स्थिति यह रही कि जेल से फोन का संचालन ऑडियो रिकॉर्डिंग का वायरल होना आम बात बनी रही। लेकिन वर्ष 2017 मार्च माह में उत्तर प्रदेश सरकार की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथ में आई। उसके बाद से मुख्तार अंसारी बांदा जेल में भेजे गए।

सूत्रों के अनुसार वहां भी बहुत दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन उनकी सुख-सुविधाओं, व्यवस्थाओं व वीआईपी ट्रीटमेंट की खबर मुख्यमंत्री तक पहुंचते ही कड़ाई शुरू हो गई। ऐसे में जेल के खेल में माहिर मुख्तार अंसारी एक मुकदमे के सिलसिले में पंजाब प्रांत को रवाना हुए। फिर क्या, वह पिछले लगभग ढाई वर्षो तक पंजाब के ही होकर रह गए। पंजाब में कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही सरकार में कारागार मंत्री से बाहुबली विधायक की खास नजदीकियां चर्चा ए आम होने लगी। जेल में स्पेशल ट्रीटमेंट जस का तस बरकरार रही। सूत्रों के अनुसार पंजाब में भी मुख्तार की अदालत बदस्तूर चलती है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी अपने यहां लगभग दर्जन भर से अधिक दर्ज मुकदमों के बाबत मुख्तार अंसारी को यूपी लाने के लिए गाड़ियां भेजी गई लेकिन रोपड़ जेल द्वारा मुख्तार की बीमारी का हवाला देते हुए यूपी भेजने से इंकार कर दिया जाता रहा। अंत में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर मुख्तार अंसारी को यूपी भेजना सुनिश्चित किया गया।

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बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी यूपी आना सुनिश्चित होता देख समर्थकों व खासकर परिजनों ने नया खेल शुरू कर दिया है। एक तरफ जहां मुख्तार की पत्नी अशफा बेगम ने जान माल की सुरक्षा की गुहार लगाते हुए राष्ट्रपति तक अपील कर डाली। वहीं बाहुबली के बड़े भाई वह बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने भी यूपी की जेल में मुख्तार अंसारी की जान का खतरा का हवाला देते हुए कई जगह प्रार्थना पत्र भेज दिए। हद तो तब हो गई जब अपने मुहिम में सफल न होता देख अफजाल ने एक बयान में यहां तक कह डाला कि यदि उनके भाई मुख्तार अंसारी को खरोच तक आई तो लाखों लोग सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे। कुल मिलाकर इतना तय हो गया है कि पिछले 16 वर्षों से जेल में बंद मुख्तार अंसारी अब तक वीआईपी सुख-सुविधाओं का आनंद लेते रहे। ऐसे में पहली बार उन्हें, उनके परिजनों व समर्थकों में यह भय सताने लगा है कि अब मुख्तार को एक सामान्य कैदी की भूमिका में ही रहना होगा। जिसको लेकर पूरी मुख्तार टीम में हलचल मची हुई है।