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धूमधाम से मना असत्य पर सत्य के विजय का पर्व विजयादशमी, धूं धूं कर जले रावण

वाराणसी: बुराई पर अच्छाई का प्रतीक Vijayadashami पर्व शनिवार को काशी के अधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में धूमधाम से मनाया गया। रामलीला में भगवान राम और लंका के राजा रावण के बीच हुए भीषण युद्ध में प्रतीकात्मक रूप से रावण की मौत होते ही आतिशबाजी के बीच रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतलों का दहन किया गया।

जय श्री राम से गूंजा वाराणसी

वाराणसी में सबसे पहले मलदहिया चौराहे पर रावण का पुतला दहन किया गया। समाज सेवा संघ द्वारा आयोजित रामलीला में भगवान श्रीराम ने भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ रावण से युद्ध किया और फिर उसका वध कर दिया। इसके बाद जैसे ही विशाल पुतले में आग लगी रावण जलने लगा और पूरा इलाका श्री राम चंद्र की जय के नारों से गूंज उठा। इस दौरान पूरा मलदहिया इलाका राजा राम की जय के नारों से गूंज उठा। बरेका रामलीला में शहर उत्तरी के विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रवींद्र जायसवाल भी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।

तीन घंटे चला रामलीला का मंचन

अहंकार का रावण जलाया जा रहा है। यहां रावण का पुतला तो भौतिक रूप से जलाया जा रहा है, लेकिन लोगों के मन के अंदर के विचारों के रावण को लोगों को स्वयं जलाना चाहिए। इसी तरह बनारस रेल इंजन कारखाना के खेल मैदान में पूर्वांचल के सबसे ऊंचे 75 फीट ऊंचे रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के पुतलों का हर्षोल्लास के साथ दहन किया गया। पुतला दहन से पहले खेल मैदान पर तीन घंटे की रामलीला का मंचन किया गया। मैदान में अयोध्या, लंका, किष्किंधा पर्वत, समुद्र, अशोक वाटिका समेत कई स्थानों की तैयारी की गई थी।

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जमकर हुई आतिशबाजी

श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, रावण, कुंभकरण का वेश धारण किए कलाकारों ने सजीव प्रस्तुति दी। राम का वनवास, सीता का हरण, लंका दहन, लक्ष्मण पर शक्ति का प्रयोग, राम का विलाप, सीता की अग्निपरीक्षा आदि विविध प्रसंगों को सजीव देख मैदान में मौजूद लीला प्रेमी व बच्चे आनंदित हो उठे। इसके बाद 75 फीट ऊंचे विशाल रावण के पुतले का दहन किया गया। रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन के दौरान जमकर आतिशबाजी हुई। इस दौरान खेल मैदान पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। श्रद्धालुओं के बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी।

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