राज्य फार्मेसी काउंसिल कार्यालय पर विजिलेंस ने की छापेमारी, कब्जे में लिए रिकॉर्ड

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पंचकूलाः हरियाणा राज्य फार्मेसी काऊंसिल सेक्टर-14 में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर विजिलेंस की टीम मंगलवार को राज्य फार्मेसी काउंसिल कार्यालय में विजिलेंस ने रेड की। आरोपी सोहन लाल कंसल को भी विजिलेंस टीम साथ लेकर पहुंची थी। आरोपी प्रधान धनेश अदलखा और रजिस्ट्रार राजकुमार की तलाश में दफ्तर में पहुंच कर कर्मचारियों से पूछताछ की गई। टीम पंचकूला दफ्तर से रिकॉर्ड खंगालने में जुटी रही।

विजिलेंस ने राज्य फार्मेसी काउंसिल कार्यालय सक कुछ रिकॉर्ड भी कब्जें में लिया। छापेमारी के दौरान सभी कर्मचारियों के मोबाइल बंद करवा दिए गए। फाइलें खंगाली गई। कर्मचारियों से कई बार अलग-अलग बुलाकर पूछताछ की गई। उनके ब्यान भी लिए गए। हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो इन कर्मचारियों के मोबाइल फोन का डाटा और सीसीटीवी खंगाल रही है, क्योंकि इनके मोबाइल से चेयरमैन धनेश अदलखा और सोहनलाल कंसल को रजिस्ट्रेशन के बाद सर्टिफिकेट व्हाट्सएप किए जाते थे। फरार चल रहे धनेश अदलखा की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

अपने चेहतों को रखा हुआ कार्यालय में

हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल की गतिविधियों के बारे में किसी को ना पता चले इसलिए चेयरमैन धनेश अदलक्खा और सोहनलाल कंसल ने अपने चहेतों को कार्यालय में बतौर कर्मचारी रखा हुआ है। काउंसिल में रिटायरमेंट के बाद 65 वर्ष आयु पूरी चुके सतपाल गर्ग को सुपरीटेंडेंट रखा हुआ है। सोहनलाल कंसल की सगी रिश्तेदार कार्यालय में कर्मचारी लगी हुई है, जो कि सभी गोपनीय दस्तावेज टाइप करती है और सीधे सोहन लाल को भेजती थी। चेयरमैन धनेश अदलखा ने कार्यभार संभालते ही एक प्राइवेट लड़की कार्यालय में रख ली थी, जिसका वेतन वह खुद वह करते थे। बताया जा रहा है कि यह युवती हरियाणा सचिवालय में कार्यरत एक अधिकारी की रिश्तेदार है। साथ ही एक अन्य महिला को कर्मचारी मोनिका भी धनेश अदलखा ने कार्यालय में रखी, जोकि सीधे धनेश अदलखा को ही सारी रिपोर्ट देती थी। काउंसिल में कार्यरत किसी अन्य अधिकारी को उसकी रिपोर्टिंग नहीं थी। इन दोनों महिला कर्मचारियों के मोबाइल में धनेश अदलखा से संबंधित काफी डाटा मिल सकता है।

विजीलेंस जांच में सामने आया है कि धनेश अदलखा और सोहनलाल कंसल सेक्टर 14 स्थित फार्मेसी काउंसिल कार्यालय में सप्ताह में 1 दिन आकर फाइलों को निकालते थे। जबकि सोहनलाल कंसल के फाइलों पर कहीं हस्ताक्षर नहीं होते, लेकिन उसके बावजूद कंसल के कहे बिना कोई फाइल नहीं निकलती थी, क्योंकि जब भी वह आते थे, तो जिन फाइलों की डील हो जाती थी उसका पैसा लेकर वह कार्यालय में आते थे, जिसे धनेश अदलखा, राजकुमार वर्मा और सोहनलाल कंसल के बीच बांटा जाता था। सोहन लाल कांसल ने विजीलेंस रिमांड के दौरान खुलासा किया कि वह धनेश अदलखा की परमिशन के बाद ही दलालों से पैसा पकड़ता था। धनेश अदलखा ही पूरे खेल का मास्टर माइंड है।

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