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आजम की विधायकी जाना सपा के लिए बड़ा झटका, तकरीरों से वंचित रहेगा विधानसभा सदन

लखनऊः समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान की तकरीरों से इस बार यूपी विधानसभा का सदन वंचित रहेगा। क्योंकि दसवीं बार विधायक बने आजम की सदस्यता रद्द हो गई है। इस बार महज कुछ दिनों ही उनकी विधायकी चल पाई। 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वह अपने पुत्र अब्दुल्लाह के साथ शपथ ग्रहण करने पहुंचे थे। इसके बाद वह सदन में कार्यवाही में हिस्सा लिए बिना ही लौट गए। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बगल वाली सीट उनको आवंटित की गई थी, लेकिन इस सीट पर एक दिन भी नहीं बैठ पाए। इस बार उनके तंजनुमा बयान के तीर सदन में नहीं चल सकेंगे। रामपुर के राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सपा नेता आजम खां के राजनीतिक जीवन में 1980 के बाद यह पहला मौका है जब वह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। 1980 से लेकर 27 अक्तूबर 2022 की अवधि के दौरान वह किसी न किसी सदन के सदस्य जरूर रहे हैं। नफरती भाषण देने के मामले में कोर्ट से तीन साल की सजा मिलने के बाद आजम खां की विधायकी रद्द हो गई है। अब वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।

सपा के एक नेता ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम को 27 अक्टूबर को सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता चली गयी। 2022 का चुनाव उन्होंने जेल से लड़ा था। इस बार वह अपना प्रचार भी नहीं कर सके लेकिन अपने रसूख के कारण चुनाव जीत गए। विधानसभा में हर मुद्दे को पूरी संजीदगी के साथ उठाने वाले आजम खां इस सदन में अपनी बेबाक राय नहीं रख पाए। विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होंने कार्यवाही में भाग नहीं लिया था। बीच में उनकी सेहत भी कुछ खराब रही थी, इस वजह से वो सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले पाए। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आजम खां कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। उनके पास लम्बा अनुभव है। वो सदन में हर बात को बहुत अच्छे तरीके से रखते हैं। लेकिन उनकी सदस्यता जाने के बाद उनकी तकरीरें और मंझे बयानों से सदन के लोग वंचित रहेंगे।

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आजम अपनी तकरीरें और दलीलों के जरिये सत्ता पक्ष को निरुत्तर करने की क्षमता रखते थे। लेकिन सपा को इस बार उनकी कमी खलेगी। पार्टी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। वो सपा का मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं। मुरादाबाद मंडल सहित पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर उनका अच्छा प्रभाव माना जाता है। निकाय चुनाव में उनके अनुभव का लाभ पार्टी को नहीं मिल पायेगा। गौरतलब हो कि भड़काऊ भाषण देने के मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए (मजिस्ट्रेट ट्रायल) की कोर्ट ने 27 अक्तूबर को उनको तीन साल की सजा सुनाई। इसके बाद आजम खां की विधानसभा की सदस्यता सजा सुनाए जाने की तिथि से ही रद्द कर दी गई। अब आजम खां किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के मुताबिक वह फिलहाल चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। ऐसी स्थिति में 1980 के बाद यह पहला मौका है जब आजम खां किसी भी सदन के सदस्य नहीं है।

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