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उपराष्ट्रपति ने कहा- लोकतंत्र के मंदिर की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए अनुशासन जरूरी

  नई दिल्लीः अनुशासन के महत्व पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि कभी-कभी अनुशासन बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाना अपरिहार्य हो जाता है, अन्यथा लोकतंत्र के मंदिरों की प्रतिष्ठा कम होने लगेगी। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर उनका प्रयास रहा है कि लोकतंत्र के मंदिरों में अनुशासन कायम रहे। उन्होंने कहा कि अनुशासन के बिना विकास संभव नहीं है। उपराष्ट्रपति सोमवार को भारतीय वन सेवा के 54वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदमों से बिचौलियों, सत्ता के दलालों का सफाया हो गया है। उन्होंने कहा कि अब जब कानून अपना काम कर रहा है तो भ्रष्टाचार में फंसे लोगों को परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए सड़क पर विरोध प्रदर्शन को कैसे उचित ठहराया जा सकता है। भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को कानून के शिकंजे से कैसे छूटाया जा सकता है?

भारत के ऐतिहासिक उपलब्धियों पर सबको होना चाहिए गर्व

आर्थिक राष्ट्रवाद की वकालत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उपभोक्ताओं और व्यापारियों के लिए कम लाभ के लिए विदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देना सही नहीं है। हम आर्थिक राष्ट्रवाद को नजरअंदाज नहीं कर सकते, देश की आर्थिक प्रगति इसी पर निर्भर करेगी। धनखड़ ने कहा कि भारत की गौरवशाली ऐतिहासिक उपलब्धियों पर सभी को गर्व होना चाहिए। विकास और प्रकृति के संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मनुष्य प्रकृति का ट्रस्टी है। प्रकृति सदैव भारतीय सभ्यता का हिस्सा रही है, प्रकृति का सम्मान करना हमारे मूल्यों का हिस्सा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी के रूप में जंगल और जंगल में रहने वाले मनुष्यों और अन्य प्राणियों की सेवा करने का अवसर मिलेगा। यह भी पढ़ेंः-महाराष्ट्र में 8 लाख रुपये के दो इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, लंबे समय से थे सक्रिय उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से वनवासी समुदायों की विशिष्ट पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली के प्रति संवेदनशील होने और उनकी जीवनशैली से सीखने की अपेक्षा की। भारतीय वन सेवा के 54वें बैच के 102 प्रशिक्षु अधिकारियों में भूटान के भी दो अधिकारी शामिल हैं। इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, राज्यसभा सचिवालय और उपराष्ट्रपति सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)