उपराष्ट्रपति बोले- अब पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने का समय आ गया है

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नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को हॉकी जैसे पारंपरिक भारतीय खेलों के गौरव को पुनः हासिल करते हुए इसे शीर्ष पर ले जाने का आह्वान किया। उन्होंने राज्य सरकारों और कॉरपोरेट संस्थाओं से इस दिशा में आवश्यक प्रोत्साहन के लिए मिलकर कार्य करने का आग्रह किया।

उप-राष्ट्रपति निवास में आज सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रवादी चमन लाल की स्मृति में डाक टिकट जारी करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के हालिया प्रदर्शन ने खेलों में रुचि को फिर से जगाया है और अब हॉकी और कबड्डी जैसे पारंपरिक भारतीय खेलों को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देना का समय आ गया है। उन्होंने कृत्रिम टर्फ सहित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षकों की उपलब्धता को भी सुनिश्चित करने का आह्वान किया। नायडू ने भारतीय खेलों के प्रति केन्द्र सरकार द्वारा दिए जा रहे सक्रिय प्रोत्साहन की भी सराहना की।

दूसरों की आंख मूंदकर नकल करने की औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने का आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी महान परंपरा और संस्कृति पर गर्व महसूस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय हर क्षेत्र में प्रतिभा से संपन्न है और इस प्रतिभा के लिए बस सही प्रोत्साहन और समर्थन की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने चमन लाल को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन निःस्वार्थ भाव से देश और लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। चमन लाल को एक महान राष्ट्रवादी और दूरदर्शी विचारक बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके जीवन का दर्शन सेवा, मूल्यों और रचनात्मकता की विशेषता है। अपने व्यक्तिगत अधिकारों और सामाजिक कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए नायडू ने कहा कि किसी के सामाजिक दायित्वों की परवाह किए बिना केवल अधिकारों पर अत्यधिक बल देने से समाज में असंतुलन पैदा हो सकता है।

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आपातकाल की अवधि के दौरान चमन लाल द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद करते हुए नायडू ने कहा कि उन्होंने जेल में बंद व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों की अत्यंत जोखिम होने के बावजूद भी बहुत परिश्रम से मदद की। चमन लाल के साथ अपनी व्यक्तिगत भेंटवार्ता का स्मरण करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपनी वयोवृद्ध आयु के बावजूद, वे नवीन विचारों से परिपूर्ण थे और सदैव नई जिम्मेदारियां लेने के लिए तैयार रहते थे।