Saturday, October 19, 2024
spot_img
spot_img
spot_img
Homeदेशउपराष्ट्रपति बोले- शिक्षा का व्यापार बनना देश के भविष्य के लिए ठीक...

उपराष्ट्रपति बोले- शिक्षा का व्यापार बनना देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं

सीकरः Vice President जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिक्षा का व्यवसाय बन जाना देश के भविष्य के लिए कभी अच्छा नहीं होता। समाज को कुछ देने और उसकी सेवा करने का काम आज व्यवसाय बन गया है। मेरा मानना ​​है कि शिक्षण संस्थानों को आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल बच्चों को विदेश में पढ़ने की नई बीमारी लग गई है। वे सपने देखते हैं कि वहां जाते ही उन्हें स्वर्ग मिल जाएगा।

भारत को शिक्षा का केंद्र बनाने का समयः धनखड़

वे किस संस्थान में जा रहे हैं, किस देश में जा रहे हैं, इसका कोई आकलन नहीं होता। बस एक अंधी राह होती है कि मुझे विदेश जाना है। यहां तक ​​कि अभिभावकों की काउंसलिंग भी नहीं की जाती। धनखड़ शनिवार को शोभासरिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के रजत जयंती वार्षिक समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि एक समय था जब हमारे देश में नालंदा, तक्षशिला जैसे संस्थान थे, लेकिन बख्तियार खिलजी (तुर्क-अफगान) ने उन्हें बर्बाद कर दिया, हमारे संस्थान नष्ट हो गए।

जब ​​अंग्रेज आए तो उन्होंने हमारे संस्थानों की मजबूती को कमजोर कर दिया। भारत जो पूरी दुनिया में ज्ञान का केंद्र था, वहां के संस्थानों की जड़ें काट दी गईं। स्वामी विवेकानंद ने 19वीं सदी में इन्हें उजागर करने का प्रयास किया था। अब समय आ गया है कि भारत को शिक्षा का केंद्र बनाने के इस महायज्ञ में सभी को आहुति देनी चाहिए।

विज्ञापनों से प्रभावित हो रहे युवा

उपराष्ट्रपति ने कहा कि चिंतन और मंथन की जरूरत है। शिक्षा उस समाज का कर्ज चुकाने का जरिया थी जिसमें हम रहते हैं। अब शिक्षा एक कमोडिटी बन गई है, जिसे मुनाफे के लिए बेचा जा रहा है। संस्थान का पैसा संस्थान में ही और संस्थान के विकास के लिए खर्च होना चाहिए। अगर संस्थानों का पोषण करने वाले कॉरपोरेट घराने हर साल सीएसआर फंड से इंफ्रास्ट्रक्चर और नए कोर्स डील के लिए पैसा दें तो यह समाज के लिए बहुत अच्छा होगा। इंडस्ट्री की भी जिम्मेदारी है कि वह समय-समय पर सीएसआर फंड का इस्तेमाल संस्थानों के पोषण के लिए करे। इनोवेशन और रिसर्च से सबसे ज्यादा फायदा इंडस्ट्री को मिलता है। जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और दुनिया के सामने देश को ताकत मिलती है।

धनखड़ ने कहा कि आपको आश्चर्य होगा कि 18 से 25 साल के छात्र विज्ञापनों से प्रभावित हो जाते हैं। 2024 में 13.50 लाख छात्र विदेश गए। उनके भविष्य का क्या होगा, इसका आकलन किया जा रहा है। इससे देश पर कितना बोझ पड़ रहा है। छह अरब अमेरिकी डॉलर विदेशी मुद्रा में जा रहे हैं। कल्पना कीजिए कि अगर इसे हमारे संस्थानों के बुनियादी ढांचे में लगाया जाता तो हमारी स्थिति क्या होती? आज क्या स्थिति है? हमारे समय की स्थिति को लड़के-लड़कियां नहीं समझ पाएंगे।

यह भी पढ़ेंः-PM मोदी रविवार को एमपी को देंगे बड़ी सौगात, करेंगे रीवा एयरपोर्ट का लोकार्पण

भारत संभावनाओं से भरा देश हैः उपराष्ट्रपति

आज स्थिति में काफी सुधार हुआ है। मैं उस समय की स्थिति का वर्णन नहीं करना चाहता। आज कानून के सामने सभी समान हैं। आज का शासन पारदर्शिता का है, जवाबदेही का है। इसमें भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि चारों ओर आशा और संभावना का माहौल है। भारत संभावनाओं से भरा देश है और दुनिया ने भारत की ताकत को स्वीकार किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, जो कुछ समय पहले भारत को शासन करना सिखाते थे, आज भारत की तारीफ करते नहीं थकते।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें