Veer Bal Diwas 2024: देश आज ‘वीर बल दिवस’ मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) समेत कई नेताओं ने शुभकामनाएं दी हैं। ‘वीर बल दिवस’ पर आज भारत मंडपम में 17 बहादुर बच्चों को सम्मानित किया जाएगा। इस बार 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 17 बच्चों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें 7 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “आज वीर बल दिवस पर हम साहिबजादों के अद्वितीय पराक्रम और बलिदान को याद करते हैं। छोटी सी उम्र में ही वे अपने विश्वास और सिद्धांतों पर अडिग रहे और अपने साहस से पीढ़ियों को प्रेरित किया। उनका बलिदान वीरता और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का एक शानदार उदाहरण है। हम माता गुजरी जी और श्री गुरु गोविंद सिंह जी की बहादुरी को भी याद करते हैं। वे हमेशा हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और दयालु समाज के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन करें।”
Veer Bal Diwas 2024: 17 बहादुर बच्चों को किया जाएगा सम्मानित
बता दें कि वीर बाल दिवस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम 26 दिसंबर 2024 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। ‘जहां 17 बहादुर बच्चों को सम्मानित किया जाएगा। ये पहली बार है जब देश का बाल पुरस्कार गणतंत्र दिवस की जगह 26 दिसंबर को दिया जाएगा। राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के अवसर पर इस बार सम्मानित होने वाले सभी 17 बच्चों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी। प्रत्येक विजेता को एक पदक, प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र पुस्तिका दी जाएगी।
वीर बाल दिवस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। इस बार 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 17 बच्चों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें 7 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुपोषित पंचायत योजना का शुभारंभ करेंगे और मार्च पास्ट को हरी झंडी दिखाएंगे। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी उद्घाटन भाषण देंगी। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं और गणमान्य व्यक्तियों सहित लगभग 3,500 बच्चे इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
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Veer Bal Diwas 2024: क्यों मनाते हैं वीर बाल दिवस
उल्लेखनीय है कि वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से सिख गुरु गोविंद सिंह जी के दोनों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह (Baba Zorawar) और बाबा फतेह सिंह (Baba Fateh Singh) की शहादत को समर्पित है। इन दोनों साहिबजादों ने मुगल साम्राज्य के अत्याचारों का सामना करते हुए छोटी उम्र में ही शहादत प्राप्त कर ली थी।