उत्तराखंड

उत्तराखंड ग्लेशियर घटनाः रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान अब तक 31 शव मिले, 176 लोग लापता

देहरादूनः उत्तराखंड के चमोली जनपद क्षेत्र के आपदा प्रभावित इलाके में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच अब कुल 31 शव मिल चुके हैं। इनमें सिर्फ दो शवों की शिनाख्त हुई है। वहीं जबकि टीम को सात मानव अंग भी मिले है। इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और हालातों का जायजा ले रहे हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक कुल लापता 206 लोगों में से 175 लोगों के बारे में अभी तक कोई अता पता नहीं है। इनमें ऋत्विक कंपनी के 21, उसकी सहयोगी कंपनी के 94, एचसीसी कंपनी के 3, ओम मेटल के 21, तपोवन गांव के दो, रिंगी गांव के 2, ऋषि गंगा कंपनी के 55, करछो गांव के 2 और रैणी गांव के 6 लोग हैं। इनमें उत्तराखंड पुलिस के 2 जवान भी हैं और 25 से 35 लोगों के टनल में फंसे होने की आशंका है। जिनकी जिंदगी बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है। अभी तक सुरक्षित बचाए गए लोगों में एनटीपीसी से 12 व्यक्ति हैं और 6 लोग घायल भी हैं। घायलों को जोशीमठ में आईटीबीपी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

इलाके में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना, सेना की मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग, फायर विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस, दूरसंचार, सिविल पुलिस और वायु सेना की टीमें भी इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित सीमांत गांव क्षेत्र रैणी जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को हर संभव सहायता मुहैया कराने के प्रति आश्वस्त किया। उन्होंने चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया को निर्देश दिए कि कनेक्टिविटी से कट गए गांव में आवश्यक वस्तुओं की कमी ना रहे।

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उल्लेखनीय है कि रविवार को तपोवन क्षेत्र में हुई भीषण त्रासदी में जिले के जोशीमठ ब्लॉक के सीमांत क्षेत्र के 13 गांवों का सड़क संपर्क टूट गया था। ग्लेशियर टूटने की इस आपदा के तत्काल बाद राज्य एवं देश की अनेक एजेंसियां रेस्क्यू कार्य में जुटी हुई है। त्रासदी के बाद रैणी गांव के तमाम घरों में मलबा फंसा हुआ था, वहां एसडीआरएफ के जवानों ने मलबा हटाकर ग्रामीणों के सामान और खाद्यान्न को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। साथ ही ग्रामीणों से उनकी समस्या भी जानने की कोशिश की गयी।