गोपेश्वरः तपोवन आपदा के सातवें दिन शनिवार को भी टनल के अंदर फंसे करीब 35-40 लोगों तक नहीं पहुंचा जा सका है। हालांकि रेस्क्यू अभियान जारी है। रेस्क्यू अभियान में लगी मशीनें हांफती नजर आ रही हैं। सात दिन से टनल में फंसे लोगों के सकुशल होने की संभावना क्षीण होती नजर आ रही है। इनका सही सलामत होना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने एक छेद किया है। लेकिन, हम यह नहीं कह सकते कि यह एक बड़ी सफलता है जब तक कि हम कुछ ठोस नहीं कर पाते। फिलहाल बचावकर्मी दो रणनीतियों पर काम कर रहे हैं – एक छेद को लंबवत रूप से ड्रिल करना और सुरंग के अंदर मलबे, कीचड़ को हटाना।
सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा में भारी बाढ़ आ गई थी। इससे ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट के साथ ही तपोवन निर्माणाधीन एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना तबाह हो गई है। इस दौरान 206 लोगों के साथ करीब 180 मवेशी लापता हो गए थे। एनटीपीसी की तपोवन निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना के टनल में 12 लोगों को पहले दिन ही सकुशल निकाल लिया गया था।
अभी दूसरी टनल में 30 से 40 लोगों के फंसे होने की संभावना है। उनको निकालने का युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। टनल के अंदर गाद और पानी भरा है। हाड़ गला देनी वाली इस ठंड में टनल के अंदर फंसी जिंदगियों का सही सलामत होना बड़ा चमत्कार ही हो सकता है। वहीं दशकों पुरानी जिन मशीनों से बचाव कार्य किया जा रहा है वह बीच-बीच में हांफ रही हैं। अभी तक टनल को सिर्फ 140 मीटर तक की खोदा जा सका है जबकि इस टनल की लंबाई 240 मीटर बताई जा रही है।