देहरादूनः उत्तराखण्ड के चमोली जिले के तपोवन पावर प्लांट की टनल से रेस्क्यू टीम ने दो शव बरामद किये हैं। एसडीआरएफ के कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने इसकी पुष्टि की है। टनल के अंदर से मिले शवों की शिनाख्त भी कर ली गयी है। इनमें एक शव नरेंद्रनगर टिहरी के आलम सिंह पुत्र सुंदर सिंह व दूसरा अनिल सिंह पुत्र भगतू कालसी देहरादून का बताया जा रहा है।
राज्य के चमोली जिला अंतर्गत जोशीमठ ब्लॉक के रैणी गांव में पिछले रविवार (7 फरवरी) को ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में धौलीगंगा और ऋषि गंगा में जलस्तर अचानक बढ़ जाने से इस इलाके में व्यापक स्तर पर तबाही हुई है। तपोवन में पावर प्लांट की टनल में फंसे 12 लोगों को उसी दिन आईटीबीपी की रेस्क्यू टीम ने जिंदा बचा लिया था जबकि बड़ी टनल में 30 से 35 लोगों के फंसे होने की आशंका जताई गई थी। इन जिंदगियों को बचाने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आइटीबीपी, सेना और स्थानीय प्रशासन की रेस्क्यू टीम लगातार एक सप्ताह से टनल से मलबा हटाने में जुटी हुई है। गुरुवार को अचानक पानी आने से कुछ देर के लिए टनल में बचाव कार्य रोकना भी पड़ा था।
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उत्तरकाशी से ड्रिलिंग के लिए एक नई मशीन मंगाई गई और बचाव कार्य को तेज किया गया। इस क्रम में एसडीआरएफ की बचाव टीम को टनल से दो शव बरामद हुए हैं। आपदा प्रभावित इलाके से अभी तक कुल 40 शव मिल चुके हैं। फिलहाल टनल में राहत और बचाव कार्य जारी है। इस बीच दो दिन पहले रैणी गांव के ऊपरी हिस्से में एक झील मिली है, जिसकी लंबाई लगभग 350 मीटर है। एसडीआरएफ की एक टीम ने शुक्रवार को जाकर इसका मौका मुआयना किया और टीम ने पाया कि इससे धीरे-धीरे पानी की निकासी भी हो रही है, इसलिए माना जा रहा है कि झील से इस इलाके में अब कोई खतरा नहीं है। वैज्ञानिकों, एसडीआरएफ के कमांडेंट नवनीत भुल्लर और राज्य के पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने झील के बारे में कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया दी है। सतपाल महाराज ने कहा कि चूंकि झील से पानी का रिसाव हो रहा है, इसलिए झील से जिस खतरे की आशंका व्यक्त की जा रही थी, वह टल चुका है।