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Uttarakhand Elections 2022: कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा के पास पिता की प्रतिष्ठा वापस पाने का मौका

हरिद्वारः उत्तरखंड़ में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। अब सभी उम्मीदवार अपने-अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। कांग्रेस ने इस बार हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को उम्मीदवार बनाया है। सबसे दिलचस्प यह है कि अनुपमा रावत को कांग्रेस ने उस सीट से उम्मीदवार घोषित किया है, जिस सीट से साल 2017 में उनके पिता हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए पराजित हुए थे। अब अनुपमा रावत के पास अपने पिता की खोई प्रतिष्ठा वापस पाने का मौका है।

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2017 में 12,278 वोटों से हारे थे हरीश रावत

गौरतलब है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से भाजपा से उम्मीदवार स्वामी यतीश्वरानन्द ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार हरीश रावत को 12,278 वोटों से पराजित किया था। स्वामी यतीश्वरानन्द को 44,964 वोट प्राप्त हुए थे, जबकि हरीश रावत को 32,686 वोट ही प्राप्त हुए थे। बहुजन समाज पार्टी के मुकर्रम 18,383 मत प्राप्त करके तीसरे स्थान पर रहे थे।

भाजपा ने दर्ज की थी बड़ी जीत

बसपा के मुकर्रम ने 18,383 वोट हासिल करने में इस हार-जीत में बड़ी अहम भूमिका थी और बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोट का एक तरफा पड़ना कहीं न कहीं हरीश रावत की हार का कारण भी बना था। मगर इस बार समीकरण कुछ और हैं। मुकर्रम अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और अनुपमा के साथ मिलकर चुनाव प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अगर मुकर्रम अपने वोटों को अनुपमा के पक्ष में डलवाने में सफल हुए तो चुनाव कांग्रेस के लिए एकतरफ हो जाएगा।

ऐसे में अनुपमा रावत भाजपा उम्मीदवार स्वामी यतीश्वरानन्द को जीत की हैट्रिक लगाने से रोकने में भी सफल हो सकती हैं। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार स्वामी यतीश्वरानन्द ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के इरशाद अली को महज 3,875 वोटों से पराजित किया था। स्वामी यतीश्वरानन्द को 25,159 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार इरशाद अली को 21,284 वोट प्राप्त हुए थे।

कांग्रेस

हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट के जातीय आंकड़े देखे जाएं तो यहां सबसे अधिक दलित मतदाता लगभग 35 से 40 फीसदी हैं, जिनमें ओबीसी भी शामिल हैं। ठाकुर 22 फीसदी, ब्राह्मण 7 फीसदी, मुल्सिम समाज 20 फीसदी और पर्वतीय मतदाता 10 फीसदी है। क्षेत्र में एससी और ओबीसी के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक होने के चलते यह वोट जिधर जाएगा, उस पार्टी का उम्मीदवार जीतने की संभावना प्रबल रहती है। लेकिन जिस तरह से दलित समाज की भाजपा से नाराजगी की बात सामने आ रही हैं और अगर यह सही हुई तो अनुपमा को अपने पिता की हार का बदला लेने में सहायक भी हो सकता है। बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी हैं जो उनको उनके मिशन में सफल बना सकते हैं।

2017 में हरीश रावत को सीएम चेहरा रखकर लड़ा था चुनाव

कांग्रेस ने साल 2017 में सिटिंग सीएम के तौर पर हरीश रावत के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा था, जिसमें हरीश रावत ने उधम सिंह नगर की किच्छा विधानसभा सीट और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। मोदी की प्रचंड लहर के चलते हरीश रावत को हार का मुंह देखना पड़ा था, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में ऐसे कोई भी समीकरण नहीं हैं। अगर यही रुख आगे बना रहा तो कांग्रेस प्रत्याशी के लिए विजय पाना आसान होगा।

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