उत्तराखंड आपदाः लापता लोगों की तलाश को सर्च अभियान जारी, अब तक 67 शव बरामद

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देहरादूनः उत्तराखंड में आई त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित हुए चमोली जिले में चल रहे बचाव कार्य के दौरान 5 और शव बरामद किए गए हैं। पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि ये शव तपोवन बांध की ओर मिले हैं। पानी और कीचड़ के कारण तपोवन प्रोजेक्ट की सुरंग के अंदर खुदाई का काम धीमी गति से हो रहा है। यहां मलबे में दबे 25 से 23 लोगों में से 13 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। सुरंग में 166 मीटर तक खुदाई हो चुकी है।

7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में करीब 204 लोग लापता हो गए। इनमें से 67 शव अब तक बरामद हो चुके हैं। बचावकर्मी सुरंग के अंदर और रैणी गांव में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट के पास काम कर रहे हैं। रैणी गांव में शवों को ढूंढने के लिए स्निफर डॉग्स की भी मदद ली जा रही है। इसके अलावा नदियों में भी लापता लोगों की खोज की जा रही है। त्रासदी के बाद सेना और आईटीबीपी के जवान भी बचाव कार्य में कई दिनों तक जुटे रहे लेकिन अब केवल एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य चला रही हैं। राज्य आपदा परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को जिले में आपदा प्रभावित मलबे में दबे और लापता लोगों को खोजने के लिए सर्च अभियान को जारी रखा गया है। मलबे में कीचड़ आने से राहत-बचाव कार्य में बाधा आ रही है। अभी तक कुल 34 की शिनाख्त हो चुकी है जबकि 137 लापता व्यक्तियों की तलाश जारी है।

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आपदा के दिन से ही एनडीआरएफ, डीआरएफ, आईटीबीपी, सेना, बीआरओ और स्थानीय पुलिस के जवानों की ओर से राहत व बचाव का कार्य रात-दिन युद्धस्तर पर जारी है। इस कार्य में फायर विभाग के 16 फायरमैन, राजस्व विभाग के 45 कर्मी और दूर संचार के 7 व 80 सिविल पुलिस तपोवन, रैणी गांव के डटे हुए हैं। आपदा में 6 घायल और 12 एनटीपीसी के कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। त्रासदी में कुल 12 गांवों के 465 परिवार प्रभावित हुए हैं। टनल में करीब तीन दर्जन फंसे व्यक्तियों में 13 का शव बरामद किया जा चुका है। वहीं जल प्रलय में बाधित 13 गावों में बिजली और पानी की सुविधा बहाल कर दी गई है। इस आपदा में जानमाल के साथ बड़े स्तर पर पशुहानि भी हुई है।