कानपुरः पहाड़ों पर हुई बर्फबारी से इस सीजन में जहां भीषण सर्दी रही तो दूसरी तरफ पश्चिमी विक्षोभों की कम सक्रियता से जल्द गर्मी भी पड़ने लगी। मौसम विभाग का कहना है कि पिछले एक शताब्दी बाद इस साल फरवरी का माह सबसे ज्यादा गर्म रहा। चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पाण्डेय ने बताया कि मौसम विभाग के पास 1901 से तापमान के आंकड़े हैं। अधिकतम तापमान का मासिक राष्ट्रीय औसत 29.54 डिग्री तक पहुंच गया है। यह देश के सामान्य से 1.73 डिग्री अधिक है। औसत न्यूनतम तापमान भी सामान्य से 0.81 डिग्री अधिक रहा।
उत्तर पश्चिम भारत में औसत अधिकतम तापमान 24.86 रहा जबकि दिल्ली का औसत अधिकतम तापमान 27.7 डिग्री रहा। देश भर में मासिक औसत न्यूनतम तापमान 1901 के बाद से फरवरी के दौरान पांचवां सबसे अधिक था। उन्होंने बताया कि आने वाले महीनों में भी तस्वीर अच्छी नहीं लगती है। दीर्घावधि पूर्वानुमान के अनुसार मार्च, अप्रैल और मई में तापमान औसत से अधिक रहेगा। हीट वेव्स की फ्रीक्वेंसी और इंटेंसिटी भी हमें औसत से ज्यादा हो सकती है।
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खरीफ फसलों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। दुनिया अपेक्षा से अधिक गर्म हो रही है। हम इन परिवर्तनों को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि से वातावरण गर्म होता है। जब सर्दी का मौसम समाप्त हो जाता है, तो यह वसंत के मौसम और उसके बाद गर्मी के मौसम के लिए रास्ता देती है। पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि वसंत का मौसम सिकुड़ रहा है और सर्दी से गर्मी में परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है।
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