लखनऊः यूपी सरकार ने गन्ना किसानों की मुश्कान को बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। चीनी मिलों को तकनीकि रूप से पुष्ट करने से यह संभव होगा। मिलों में न सिर्फ चीनी का उत्पादन होगा, बल्कि अन्य तरह के तमाम उत्पाद भी तैयार होंगे। इनकी पेराई क्षमता बढ़ेगी। पेट्रोलियम पर इनकी निर्भरता भी तय होगी। योगी सरकार चीनी उद्योग को बढ़ावा देकर किसानों की आय में इजाफा करने के अपने अभियान में जुट गई है। इसके तहत सरकार चीनी मिलों का आधुनिकीकरण कराते हुए चीनी मिलों की क्षमता में विस्तार कर गन्ना उद्योग को बढ़ावा देगी।
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चुनाव के ठीक पहले जारी अपने लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बाबत प्रतिबद्धता जताई थी। संकल्पपत्र के मुताबिक सत्ता वापसी पर सरकार 5 हजार करोड़ रुपए की लागत से गन्ना मिल नवीनीकरण मिशन शुरू करेगी। मिशन के तहत स्थानीय जरूरत के अनुसार, नयी सहकारी चीनी मिलों की स्थापना, नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण करने की बात कही गयी थी। पार्टी के इस संकल्प पत्र के वादे को पूरा करने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब कदम बढ़ा दिए हैं। जिसके तहत बुधवार को खेतीबाड़ी से जुड़े विभागों (सात) की मंत्री परिषद के समक्ष हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में आगामी कार्ययोजना के बारे में इस बाबत स्पष्ट निर्देश दिए ताकि गन्ना और चीनी उद्योग को राज्य में एक नई ऊचाई पर पहुंचाते हुए किसानों के जीवन में गन्ने की मिठास को बढ़ाया जाए।
इस क्रम में प्रदेश सरकार का सर्वाधिक फोकस गन्ना मूल्य के बकाए भुगतान पर है। हालांकि योगी सरकार -1 में 1,69,153 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड भुगतान किया जा चुका है। बावजूद इस बेहद संवेदनशील मामले में सरकार किसी को मौका नहीं देना चाहती। इसीलिए इस सरकार में 14 दिनों में भुगतान सुनिश्चित करने के साथ भुगतान के लिए लक्ष्य भी रखा गया है। सरकार का प्रयास होगा कि अगले 100 दिन और 6 माह में गन्ना किसानों को क्रमश: 8 हजार करोड़ और 12 हजार करोड़ रुपये भुगतान कर दिया जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अगले पांच वर्षों में गन्ने की उत्पादकता वर्तमान के 81.5 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 84 टन प्रति हेक्टेयर करने के लक्ष्य के साथ कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। पेराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ना सर्वेक्षण नीति जारी के तथा डिजिटल सर्वेक्षण करने का भी निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने संकल्पपत्र के वायदों के अनुसार, बिलासपुर (रामपुर), सेमिखेड़ा (बरेली), पूरनपुर (पीलीभीत) की सहकारी चीनी मिलों के आधुनिकीकरण, ननोता, साथा और सुल्तानपुर चीनी मिलों के सु²ढ़करण का भी निर्देश दिया। छाता (मथुरा) में मॉडल के तौर पर सुगर काम्प्लेक्स की स्थापना खुद में एक अभिनव पहल होगी। मालूम हो कि गन्ना प्रदेश की सबसे प्रमुख नकदी फसल है। प्रदेश में करीब 65 लाख किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं। इनका हित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सर्वोच्च प्राथमकिता रही है। योगी सरकार-1 में गन्ना मूल्य बकाए का रिकॉर्ड भुगतान, नयी चीनी मिलों की स्थापना, खांडसारी इकाइयों के लाइसेंसिंग प्रक्रिया का सरलीकरण, प्रति कुंतल गन्ना मूल्य में 25 रुपए की वृद्धि जैसे काम इसका सबूत हैं। योगी-2 में भी गन्ना किसानों का हित सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
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