यूपीः सपा ने प्रशासन की कार्यशैली पर उठाए सवाल, बताया तानाशाह

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हरदोईः वरिष्ठ सपा (SP) नेताओं ने आज सामूहिक प्रेसवार्ता में प्रशासन की कार्यशैली पर जमकर निशाना साधा। पूर्व अध्यक्ष पदमराग सिंह यादव पम्मू एवं जीतेन्द्र वर्मा जीतू ने पत्रकारों से कहा कि वे भाजपा के संस्थापक सदस्य एवं पूर्व जिला अध्यक्ष विद्याराम वर्मा की पत्नी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा प्रशासन द्वारा जो शर्मनाक दुर्व्यवहार किया गया। इस दुर्व्यवहार के कारण उनकी पत्नी को गंभीर मानसिक आघात पहुंचा जिससे उनकी मृत्यु हो गई। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।’ यह घटना पूरे जिले के राजनीतिक माहौल में अब तक की सबसे शर्मनाक और निंदनीय है। अब सवाल यह है कि श्री वर्मा के साथ प्रशासनिक दुर्व्यवहार और उनकी मौत का जिम्मेदार कौन है? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी और उन्हें सजा मिलेगी या नहीं?

कार्रवाई पर कोई बात नहीं

यह घटना किसी आम नागरिक के साथ नहीं बल्कि समाज के एक बेहद सम्मानित वरिष्ठ नागरिक और सत्ताधारी दल के एक वरिष्ठ नेता और बेदाग ईमानदार छवि के वरिष्ठ भाजपा नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा में समर्पित कर दिया है, के साथ घटित हुई है, इसलिए और भी निंदनीय है। हरदोई के प्रशासनिक अधिकारी बेलगाम हो गए हैं, नौकरशाही पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है, ऐसा लग रहा है मानो चुनाव आचार संहिता नहीं बल्कि आपातकाल घोषित कर दिया गया हो।

कल जब मैं उनके घर संवेदना प्रकट करने पहुंचा तो देखा कि बीजेपी और आरएसएस के बड़े-बड़े नेता फोन पर वर्मा जी से यह कहते सुने गए कि बहुत दुख हुआ कि उनके साथ कुछ गलत हुआ, लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि मैं जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई करुंगा।

ऐसा लगता है कि भाजपा नेता जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों से डर रहे हैं, नहीं तो वे लूटपाट और दलाली में शामिल हो जायेंगे, इसलिए वे दबाव में हैं। जिस सरकार या पार्टी का प्रशासन पर नियंत्रण नहीं है और जो अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान की रक्षा नहीं कर सकती, उसे गद्दी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है। जिस तरह से वर्मा जी वीडियो में बार-बार रोते हुए कह रहे हैं कि डीएम ने फोन तक नहीं उठाया, यह कोई नई बात नहीं है, जिलाधिकारी अपने पद, सरकार के अहंकार के कारण सत्ता की चाटुकारिता के कारण हिटलरशाही पर आमादा हैं। सरकार ने जो सीयूजी नंबर दिया है वह जनता एवं जन प्रतिनिधियों की समस्याओं को सुनने के लिए दिया गया। वह मोबाइल ओएसडी और डीएम के हाथों की शोभा बनकर रह जाता है। जब आप फोन मिलाते हैं तो जवाब एक ही मिलता है, डीएम साहब किसी मीटिंग में हैं।

सपा ने हमेशा अत्याचार के खिलाफ उठाई आवाज

जिलाधिकारी हरदोई 31 लोकसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर भी हैं। मुख्य विपक्षी दल की घोषित प्रत्याशी उषा वर्मा कठिन से कठिन परिस्थिति में भी फोन पर बात नहीं कर पा रही हैं। यही हाल भाजपा सरकार के जनसेवकों का है । अभी कुछ दिन पहले ही एक और उदाहरण सामने आया था कि अपने विकास की मांग करने पर हरपालपुर थाने के सेमरिया गांव के 28 लोगों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर दिया गया था। इस मामले में जिलाधिकारी ने समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था कि ग्रामीणों पर कोई पुलिस अत्याचार नहीं होगा। लेकिन हर दिन कोई न कोई पुलिसकर्मी सेमरिया गांव में जाकर डरा-धमका रहा है।

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ऐसी घटनाओं के दो ही कारण हो सकते हैं, या तो भाजपा सरकार जनता के साथ-साथ अधिकारियों का भी शोषण और उत्पीड़न कर रही है, इसलिए बीजेपी के बड़े नेता चुपचाप बैठकर अपने ही कार्यकर्ताओं का अपमान सह रहे हैं। समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता चुप नहीं बैठेंगे, जहां भी शोषण और अत्याचार होगा, उसके खिलाफ आवाज उठाएंगे और शोषितों के साथ लड़ेंगे।

समाजवादी पार्टी एक ऐसी पार्टी है जिसने हमेशा अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। अब तक हम आम जनता, किसानों, युवाओं, महिलाओं और अपने कार्यकर्ताओं के लिए लड़ते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि हमने भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं का मान-सम्मान खो दिया है। समाजवादी पार्टी को भी अपने स्वाभिमान की रक्षा करनी होगी।

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