सर्वाधिक बिजली आपूर्ति में देश में दूसरे पायदान पर यूपी, महाराष्ट्र अव्वल

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लखनऊः भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली देने में जहां देश में महाराष्ट्र प्रथम स्थान पर रहा, तो वहीं यूपी इस मामले में दूसरे पायदान पर रहा। प्रदेश में उपभोक्ताओं को 26,537 मेगावाट तक विद्युत आपूर्ति की गई। बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए अगले वर्ष डिमांड और बढेगी, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में बिजली की बढती मांग को पूरा करने के लिए पावर ट्रांसमिशन काॅर्पोरेशन को सिस्टम में तत्काल सुधार करने की जरूरत है।

उपभोक्ता परिषद का मानना है कि आने वाले वर्षों में बिजली की मांग 28 से 30 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती है। ऐसे में सिस्टम को तत्काल अपग्रेड किए जाने की जरूरत है। वर्तमान में देश में बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। देश के अधिकतर राज्यों में इस वर्ष पीक आॅवर में बिजली की मांग में 20 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। बीते जुलाई माह में यूपी ने प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को 26,537 मेगावाट बिजली सप्लाई की, वहीं मानसून कमजोर रहा तो सितंबर माह में प्रदेश की बिजली मांग 27,000 मेगावाट के ऊपर पहुंचने का अनुमान है।

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प्रदेश की बिजली की मांग को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन काॅर्पोरेशन को युद्ध स्तर पर काम करना होगा। उप्र पावर ट्रांसमिशन काॅर्पोरेशन को टैरिफ बेस कॉम्पिटेटिव बिडिंग (टीबीसीबी) के तहत लगभग 200 करोड़ की लागत के कार्यों को अनिवार्य रूप से करने के लिए अधिकृत किया जाए और जरूरी होने पर ही टैरिफ बेस कॉम्पिटेटिव बिडिंग का सहारा लिया जाए।

कृषि फीडर पर 16 घंटे विद्युत आपूर्ति की मांग –

कमजोर मानसून के चलते जहां प्रदेश के कई जिले सूखे की चपेट में आ गए हैं, तो वहीं किसानों के सामने फसल को बचाने का संकट खड़ा हो गया है। कृषि फीडर पर 10 घंटे बिजली सप्लाई होने के चलते यह समस्या और बढ़ गई है। 10 घंटे विद्युत आपूर्ति होने से किसानों के निजी नलकूप जरूरत के मुताबिक नहीं चल पा रहे हैं। उपभोक्ता परिषद ने कृषि फीडर पर 10 की जगह 16 घंटे विद्युत आपूर्ति करने की मांग की है। इसके लिए परिषद ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को प्रस्ताव भी सौंपा है। प्रदेश में कुल निजी नलकूपों की संख्या करीब 13,65,362 है।

इन राज्यों ने की अधिकतम बिजली आपूर्ति –

महाराष्ट्र – 28,846 मेगावाट
उत्तर प्रदेश – 26,537 मेगावाट
गुजरात – 21,382 मेगावाट
तमिलनाडु – 17,563 मेगावाट
राजस्थान – 16,012 मेगावाट

  • पंकज पांडेय की रिपोर्ट

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