लखनऊः विधानसभा में आमतौर पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने होते हैं। मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन की कार्यवाही के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब दोनों दलों के लगभग सभी सदस्य एक साथ नजर आये। दरअसल हुआ यूं कि जब विपक्ष की ओर से विधायक निधि पर जीएसटी खत्म करने की मांग उठी तो सत्ता पक्ष के एक सदस्य ने कहा कि वह इसका समर्थन करेंगे। हालांकि इस पर बेंच से उन्हें फटकार जरूर लगी, लेकिन लगभग सभी की सहमति की झलक भी दिखी।
समाजवादी पार्टी के सरैनी विधायक देवेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए पांच करोड़ की निधि मिलती है। उन्होंने फंड बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद भी दिया। इस फंड में से 18 फीसदी जीएसटी के नाम पर जाता है। पांच साल की पूरी रकम में से 90 लाख रुपये जीएसटी के तौर पर काटे जाते हैं। यह सभी सदस्यों का मामला है। इसलिए इसे ख़त्म किया जाना चाहिए। सपा सदस्य इस मुद्दे पर बोल ही रहे थे कि इसी बीच, बीजेपी सदस्य हर्षवर्द्धन बाजपेयी ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी सदस्य एक साथ हैं। जैसे ही हर्षवर्द्धन ने यह कहा। विपक्ष के सदस्यों ने मेज थपथपाने लगे।
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इस पर बेंच से स्पीकर सतीश महाना ने बीजेपी विधायक श्री बाजपेयी को सीट पर बैठने का निर्देश दिया। साथ ही हिदायत दी कि जवाब देना मंत्री का काम है, सदस्य का नहीं। सरकार की ओर से वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में कहा कि फंड पर जीएसटी 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी करना फायदेमंद है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीएसटी सिर्फ राज्य का मुद्दा नहीं है। यह सभी प्रांतों का मसला है। सभी प्रांत और पूरा देश इस पर सहमत है। इसलिए इस मसले पर ऐसे ही कोई फैसला नहीं लिया जा सकता।
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