यूपी इलेक्ट्रिक बसों का सफर होगा अब और भी महंगा, 7 माह बाद फिर बढ़ाया गया किराया

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UP electric buses fare increased

लखनऊः राजधानी वासियों के बड़ा झटका लगा है। इलेक्ट्रिक सिटी बसों का किराया (electric buses fare) सात माह बाद फिर से बढ़ गया है। इस बार प्रदेश के सभी 14 शहरों में सिटी बसों का किराया समान करने की वजह से अलग-अलग दूरी में किराया बढ़ा है। इलेक्ट्रिक एसी सिटी बसों का किराया एक से तीन रुपए तक बढ़ाया गया है। किराया वृद्धि को तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है, वहीं सीएनजी सिटी बसों के किराए में कोई इजाफा नहीं किया गया है। सिटी ट्रांसपोर्ट प्रबंधन का कहना है कि किराए को पांच रुपए के राउंड फिगर में किया गया है। हालांकि, पहले तीन किमी के सफर का किराया 12 रुपए ही रहेगा।

तीन किमी से अधिक की दूरी की यात्रा में जहां पर भी किराया पांच रुपए के राउंड फिगर में नहीं था, उसमें वृद्धि की गई है। शासन की नगरीय परिवहन निधि प्रबंध समिति की बीते आठ जून को हुई बैठक में इलेक्ट्रिक सिटी बसों के किराए में एकरूपता लाने के निर्देश दिए गए थे, वहीं यात्री दुर्घटना प्रतिकर को 50 पैसे की जगह एक रुपए कर दिया गया है। दुर्घटना निधि और जीएसटी को जोड़ते हुए किराए को पांच रुपए के राउंड फिगर में तय किया गया। प्रदेश के सभी 14 शहरों में संचालित इलेक्ट्रिक बसों का किराया समान हो गया है। अब लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, मुरादाबाद, झांसी, बरेली, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, वाराणसी, गाजियाबाद, शाहजहांपुर, आगरा व मथुरा में यात्रियों से एकसमान किराया वसूल किया जाएगा।

ऐसे की गई किराए में वृद्धि

  • 0 से 3 किमी का 12 रुपए यथावत
  • 3.1 से 6 किमी का 17 से 20 रुपए
  • 6.1 से 10 किमी का 22 से 25 रुपए
  • 10.1 से 14 किमी का 27 से 30 रुपए
  • 14.1 से 19 किमी का 33 से 35 रुपए
  • 19.1 से 24 किमी का 38 से 40 रुपए
  • 24.1 से 30 किमी का 43 से 45 रुपए
  • 30.1 से 36 किमी का 48 से 50 रुपए
  • 36.1 से 42 किमी का 54 से 55 रुपए

अब यहां के लिए देना होगा इतना किराया

  • दुबग्गा से मोहनलालगंज का 43 की जगह 45 रुपए
  • दुबग्गा से पीजीआई का 38 की जगह 40 रुपए
  • दुबग्गा से तेलीबाग का 33 की जगह 35 रुपए
  • दुबग्गा से बंगला बाजार का 27 की जगह 30 रुपए
  • घंटाघर से संडीला का 64 की जगह 65 रुपए
  • घंटाघर से रहीमाबाद का 54 की जगह 55 रुपए
  • घंटाघर से मलिहाबाद 38 की जगह 40 रुपए
  • दुबग्गा से संडीला का 59 की जगह 60 रुपए
  • राजाजीपुरम से चारबाग का 22 रुपए की जगह 25 रुपए

अयोध्या, सहारनपुर में चलेगी सिटी बसें

अयोध्या व सहानपुर में भी सिटी बसों का संचालन किया जाएगा। रामनगरी अयोध्या व सहारनपुर में पहली बार सिटी बसों का संचालन शुरू होगा, वहीं गोरखपुर व संगम की धरती प्रयागराज में सिटी बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी। बीते जून में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस खाका खींचा जा चुका है। प्रदेश में 2,500 की संख्या में इलेक्ट्रिक बसें (electric buses fare) आएंगी, जिनको जरूरत के हिसाब से शहरों को वितरित किया जाएगा। गोरखपुर, प्रयागराज, अयोध्या व सहारनपुर में इलेक्ट्रिक सिटी बसों के मेंटीनेंस डिपो व चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे। इसके साथ ही बसों के ठहराव के भी इंतजाम किए जा रहे हैं।

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राजधानी से नैमिषारण्य, सीतापुर तक चलेंगी ई-बसें

पौराणिक महत्व वाले तीर्थ क्षेत्र नैमिषारण्य व सीतापुर तक भी इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा। नगरीय परिवहन निदेशालय द्वारा नैमिष में चार्जिंग स्टेशन के साथ इलेक्ट्रिक बसों की मरम्मत के लिए मेंटीनेंस डिपो भी बनाया जाएगा। निदेशालय को इसके लिए जमीन उपलब्ध करा दी गई है। चार्जिंग स्टेशन व मेंटीनेंस डिपो के लिए जमीन न मिलने से यह प्रस्ताव लटक गया था। जमीन मिल जाने से अब सीतापुर तक इलेक्ट्रिक बस चलाने का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, राजधानी के करीब स्थित सभी जनपदों तक इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होना है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले चरण में सीतापुर जिले को इलेक्ट्रिक बस सेवा से जोड़ने की घोषणा कर चुके हैं। शहर से नैमिषारण्य व सीतापुर की दूरी लगभग बराबर है। सिटी बस प्रबंधन अभी दो सीएनजी बसों का संचालन नैमिषारण्य के लिए कर रहा है। इन बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक बसें संचालित की जानी हैं। हालांकि, दूरी अधिक होने व चार्जिंग स्टेशन न होने से संचालन नहीं हो पा रहा है। सीतापुर जिला प्रशासन ने चार्जिंग स्टेशन के साथ उसी परिसर में बनाए जाने वाले मेंटीनेंस डिपो के लिए भी जमीन उपलब्ध करा दी है।

चार्जिंग स्टेशन व मेंटीनेंस डिपो का काम कार्यदाई संस्था सी एंड डीएस को दिया गया। मिश्रिख नीमसार के पौराणिक महत्व को देखते हुए प्रदेश सरकार इस पूरे क्षेत्र का पर्यटन की दृष्टि से कायाकल्प करा रही है। सरकार ने इसके लिए नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद का गठन किया है। इसमें सीतापुर व हरदोई जनपद के 36 गांवों को शामिल किया गया है। इस क्षेत्र को वैदिक, आध्यात्मिक, धार्मिक और ईको-टूरिज्म के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है। इन क्षेत्रों को पर्यटकों और श्रद्धालुओं को ध्यान में रखकर विकसित किया जाएगा।

(रिपोर्ट- पंकज पांडेय, लखनऊ)

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