Home उत्तर प्रदेश UP Elections: यूपी के चुनावी रण में खूब चल रहे सियासी तीर,...

UP Elections: यूपी के चुनावी रण में खूब चल रहे सियासी तीर, अब सबकी नजरें जनादेश पर

अखिलेश यादव

लखनऊः फिजा में भले ही गर्मी आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ रही हो,लेकिन चुनावी गहमागहमी और गर्मी अब शांत हो रही है। जनता ने फैसला सुना दिया। अब सबकी निगाहें जनादेश की ओर लगी हुई हैं। सभी दल के नेताओं ने पूरे प्रदेश को मथा अलग-अलग जुमलों से सभाओं में समां बांधा। कई मुद्दों पर माहौल भी गरमाया। लेकिन एक-दूसरे के सियासी जुबानी जंग के लिए यह चुनाव याद किया जाएगा। राजनीतिक दलों ने हर चरण पर अलग-अलग मुद्दे उठाकर सियासी तापमान को चढ़ाते नजर आए। हर चरण में लोगों के बीच प्रमुख सवालों का बदलाव होते साफ देखा गया। सभी दलों ने विरोधियों पर हमले के लिए तीर इस्तेमाल किये गये।

ये भी पढ़ें..Womens CWC 2022: ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को सात विकेट से हराया, बेकार गई बिस्माह और आलिया की पारी

आखिरी दौर में भाजपा ने यूक्रेन के सवाल को मजबूत देश जोड़ते हुए सपा को घेरा, तो सपा ने दबाव बनाने का प्रयास किया। हर चरण में कहीं आमने-सामने तो कहीं त्रिकोणीय तो कहीं चतुष्कोणीय मुकाबले के बीच बदलते रहे। 10 फरवरी को यूपी चुनाव के पहले चरण का आगाज हुआ था। दूसर चरण 14 फरवरी को था। चूंकि चुनाव पश्चिमी यूपी से शुरू हुआ तो वहां के मुख्यत: मुद्दे थे। किसान आंदोलन की गूंज खूब सुनायी दे रही थी। रोजगार का मुद्दा, किसान आंदोलन बनाम कानून-व्यवस्था में रही। सपा रालोद गठबंधन ने किसानों के मुद्दों को उठानें की पूरी कोशिश की, जबकि भाजपा ने कानून व्यवस्था का हुंकार भरी। मंहगाई के मुद्दे भी उछले पर तीखे बयानों की बारिश में उसकी तापिश उतना असर नहीं कर पायी।

बिपझ ने बुलडोजर पर उठाए सवाल

बातें कानून व्यवस्था और विकास से शुरू हुई थीं, पर चरणवार पूरी तरह बदलती चली गयीं। विपक्ष ने ‘बुलडोजर’ पर सवाल उठाए। बुलडोजर के बहाने मुख्यमंत्री को घेरने की कोशिश की तो योगी ने विपक्ष के तीर को भी लपक कर बुलडोजर को अपने पक्ष सकारात्मक रूप पेश करना शुरू कर दिया। योगी समर्थक उन्हें ‘बुलडोजर बाबा’ का नाम दिया। सपा कहती रही कि इसके बहाने कुछ विशेष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। जानबूझकर चुनिंदा लोगों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया, लेकिन इसकेा भाजपा ने अपने तरीके से इसे धुव्रीकरण का हथियार बना लिया।

अखिलेश के जिन्ना वाले बयान को भाजपाइयों ने खूब लपका

इसी तरह ठोको नीति भी इस चुनाव में खूब प्रचारित हुई। सपा मुखिया अखिलेश कहते रहे कि बाबा कि ठोको नीति कुछ खास लोगों के लिए ही है। अपनों पर यह नीति लागू नहीं हो रही है, पर भाजपा इसे भी अपने तरीके से खूब प्रचारित करती रही। तीसरे और चौथे चरण में आतंकवाद का मुद्दा गरमाने लगा। प्रधानमंत्री ने हरदोई और उन्नाव में रैली कर सपा पर आतंकवाद का समर्थन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जहां लोग सब्जी खरीदने आते हैं, कई जगह साइकिल पर बम रखे हुए थे। मैं हैरान हूं, ये साइकिल को उन्होंने क्यों पसंद किया। हमें ऐसे लोगों से राजनीतिक दलों से हमेशा सर्तक रहना होगा। अखिलेश यादव के जिन्ना पर दिए बयान को भाजपाइयों ने खूब लपका। भाजपा नेता लागातर रैलियों और प्रचार में बोलते रहे कि वे जिन्ना वाले हम गन्ना वाले हैं। चौथे चरण में लखीमपुर खीरी प्रकरण के बाद यहां किसान नाराज थे, इसलिए वा तथा कांग्रेस भी इस मुद्दे को खूब भुनाने की कोशिश की । बसपा ने भी खूब जोर लगाया। बयानों के तीर चलाए।

अंतिम चरण में मफियावाद-परिवारवाद के मुद्दे हुई लड़ाई

भाजपा, सपा, कांग्रेस व बसपा इन सबके तरकश में ऐसे चुनावी तीर थे, जो विरोधियों पर हमले के लिए अलग-अलग मौके पर खूब इस्तेमाल किए गये। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने महिला सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए “मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं” की मुहिम चलाई। बसपा मुखिया मायावती ने अपने शासन में ‘बेहतर कानून व्यवस्था’ को जनता के बीच रखा। छठे वे और सातवें चरण में यूक्रेन के अलावा ‘मफियावाद’, ‘परिवारवाद’ के मुद्दे जमीन पर लड़ते दिखाई दें। छुट्टा पशुओं की समस्या की दिखी। भाजपा का चुनावी गीत “जो राम को लाए हम उनको लाएंगे”, खूब हिट हुआ। विपक्ष की ओर से ‘यूपी में का बा’ की चर्चा खूब रही। इसको अखिलेश ने भी खूब प्रसारित किया।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)

Exit mobile version