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UP Elections: बछरावां सीट- कभी कांग्रेस का चलता था ‘राज’, अब जारी है ‘वनवास’

रायबरेलीः कभी बछरावां सीट कांग्रेस की परम्परागत सीट रही है और यहां उसका ”राज” चलता था, लेकिन तीन दशक से आज तक पार्टी को यहां से कोई सफलता नहीं मिल पाई। वर्ष 1993 में भाजपा ने यहां से कांग्रेस को बाहर किया तब से उसका वनवास जारी है। बीच में 2007 में जरूर पार्टी की एक बार वापसी हो चुकी है। हालांकि इस दौरान भाजपा, सपा, बसपा के उम्मीदवार समय-समय पर जीतते रहे और किसी एक पार्टी का एकाधिकार यहां से समाप्त हो गया। इस बार भाजपा ने यह सीट अपना दल (एस) को दे दी, जबकि उनका यहां से विधायक था, कांग्रेस ने सुरेश पासी, सपा ने श्याम सुंदर भारती, अपना दल ने लक्ष्मीकांत रावत और बसपा ने लाजवंती कुरील को चुनाव मैदान में उतारा है। मुकाबला चतुष्कोणीय होने के आसार हैं।

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नामांकन के पहले तक यहां राजनीति बदलती रही है। पूर्व सपा विधायक रामलाल अकेला भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा ने अपना विधायक होते हुए भी इस सीट को अपना दल (एस) को सौंप दी। कांग्रेस ने भी एक मजबूत उम्मीदवार को यहां उतारा है। दो बार के विधायक रहे श्यामसुंदर भारती भी जोर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें रामलाल अकेला के विरोध को झेलना पड़ रहा है। बसपा की लाजवंती कुरील बेस वोट और महिला होने के कारण आत्मविश्वास से भरी हैं। कुल मिलाकर यहां चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार हैं।

आजादी के आंदोलन में इस क्षेत्र ने निभाई अहम भूमिका

आजादी के आंदोलन में इस क्षेत्र ने अहम भूमिका निभाई थी। राजमऊ का पुस्तकालय इसका गवाह है। प्राचीन भंवरेश्वर मंदिर की आस्था लोगों को यहां खींचती है। हालांकि यहां अभी भी लोगों की अपनी समस्याएं हैं, बाराबंकी, उन्नाव और लखनऊ की सीमा से सटा बछरावां विधानसभा सीट का अपना इतिहास और कहानी है। प्रयागराज से सीधा जुड़ा होने एवं प्रदेश की राजधानी के नजदीक रहने के बावजूद सामान्य समस्याओं से ही लोगों को रोज रूबरू होना पड़ता है। मूलभूत सुविधाएं सहित किसानों, छात्रों की समस्याएं हैं जिन्हें जनप्रतिनिधियों ने वादों के तले दबा रखा है। सड़क, बिजली, पानी आदि मूलभूत सुविधाओं के अलावा कई वादे आज भी पूरा होने के इंतज़ार में हैं।

बछरावां विधानसभा एक नज़र में- कुल मतदाता-3,36456,

पुरुष-1,76,308, महिला-1,60,134, थर्ड जेंडर-14.

मतदान केंद्र-220, बूथ-382.

जानें कब कौन बने विधायक

वर्तमान बछरावां विधानसभा क्षेत्र आज़ादी के बाद कई हिस्सों में विभक्त था और महराजगंज वेस्ट, रायबरेली नार्थ में इसका ज्यादातर भाग था। 1952 में यह सीट सामान्य थी और कांग्रेस से रामस्वरूप मिश्रा (विशारद) चुनाव जीते।

1957- मुंशी चंद्रिका प्रसाद (कांग्रेस)

1962 में यह सीट आरक्षित हो गई और रामेश्वर (कांग्रेस) से विधायक बने।

1967- रामदुलारे (कांग्रेस)

1969-रामदुलारे(कांग्रेस)

1974-रामदुलारे(कांग्रेस)

1977-रामदुलारे(कांग्रेस)

1980-शिवदर्शन(कांग्रेस)

1985-शिवदर्शन(कांग्रेस)

1989-शिवदर्शन(कांग्रेस)

1991-शिवदर्शन(कांग्रेस)

1993-राजाराम त्यागी (भाजपा)

1996-श्यामसुंदर भारती (बसपा)

2002-रामलाल अकेला (सपा)

2007- राजाराम त्यागी (कांग्रेस)

2012- रामलाल अकेला (सपा)

2017-रामनरेश रावत (भाजपा)

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