लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली कामयाबी में सुरक्षित सीटों का भी अहम योगदान है। भाजपा गठबंधन ने इस बार 65 सुरक्षित सीटों पर सफलता पाई है। इन सीटों के कारण भाजपा को काफी बढ़त मिली है। राज्य में 403 विधानसभा सीटों में से 86 सीटें सुरक्षित हैं। इनमें से 84 अनुसूचित जाति और दो सीटें जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर जीत का परचम फहराने के लिए भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस आदि सियासी दलों ने दलित वर्ग के मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। लेकिन कामयाबी भाजपा को मिली है। भाजपा ने इन सीटों पर सही ढंग से रणनीति बनाकर काम किया और सफलता पायी।
पार्टी के मुख्य रणनीतिकार व संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने सुरक्षित सीटों पर टारगेट किया था। इन सीटों को पाने के लिए उन्होंने कई विशेष अभियान भी चलाए। उन्हों पता था कि अगर इन सीटों पर सफलता मिलती है तो सत्ता पाने में आसानी होगी। इसी कारण इसे लेकर विशेष रणनीति भी बनाई। बूथ स्तर पर योजनाओं का लाभ लेने वाले इस वर्ग के मतदाताओं का रिकार्ड तैयार कर उनसे संपर्क किया गया। उन्हें याद भी दिलाया कि केंद्र के साथ प्रदेश में भी भाजपा की सरकार के कारण उन्हें कितना लाभ मिला है। इसके अलावा प्रत्येक जिले में एक हजार से ज्यादा अनुसूचित वर्ग के सम्मेलन में छोटे बड़े नेताओं ने भाग लिया। साथ ही अनुसूचित जातियों के घर में भोजन आदि के कार्यक्रम आयोजित करवाए गये। राशन, आवास, शौचालय जैसी योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ इसी तपके को मिला है इसे भी याद दिलाया गया। पूर्व आईपीएस ब्रजलाल, असीम अरूण, बेबी रानी मौर्या, लालजी निर्मल जैसे लोगों को आगे करके इस वर्ग को एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया। भाजपा के बड़े नेता ने बताया कि चार लोगों को टोली बनायी गयी थी। उसमें दलित वर्ग को तवज्जो दी गयी थी। इनको खासकर अनुसूचित वर्ग तक पहुंचने की जिम्मेदारी मिली थी। सामाजिक संवाद के माध्यम से दलित वर्ग के लोगों को साधा गया।
ये भी पढ़ें..कपड़े के शोरूम में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर…
इसके अलावा प्रत्येक बूथ पर अनुसूचित के घर पर भोजन करना था। सबसे ज्यादा लाभार्थी इसी वर्ग से आते हैं। इसलिए उन तक पहुंचना पार्टी की रणनीति में था। अब चुनावी परिणाम स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि भाजपा की यह रणनीति बहुत कारगर रही और गरीब-दलितों का जो अधिकतर वोट बसपा को मिलता था, उसकी बड़ी हिस्सेदार भाजपा हो गई। उनका कहना है मायावती का खास वोट बैंक रहा जाटव भी इस बार भाजपा के पाले में हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा ने 70 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसने एससी वर्ग की 69 और एसटी वर्ग की एक सीट जीती थी। वहीं, सपा ने सात, बसपा ने दो और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। अपना दल एस ने तीन सीटें जीती थी। इनमें से दो एससी और एक एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीट थी। सुभासपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। राजनीतिक जानकार प्रसून पांडेय कहते हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन की वजह से कड़े मुकाबले के आसार थे। इसके बाद भी भाजपा गठबंधन ने पहले चरण की नौ सीटों में से आठ पर व दूसरे चरण की इतनी ही सीटों में से सात पर विजय हासिल की। तीसरे व चैथे चरण में भी क्रमशः 15 में से 13 और 16 में से 15 पर परचम फहराया। पांचवें और छठे चरण में भी भाजपा की बढ़त जारी रही। तकरीबन हर चरण में उसे सफलता मिली है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)