लखनऊः एक समय डीजीपी (DGP) पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे आईपीएस (IPS) अधिकारी आनंद कुमार को डीजी जेल के पद से हटा दिया गया है। एक अप्रैल को कारागार मुख्यालय में 1990 बैच के अधिकारी एसएन साबत को पुलिस महानिदेशक व महानिरीक्षक कारागार की जिम्मेदारी सौंप दी गई हैं। साबत अब तक यूपी पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पुलिस महानिदेशक थे। विदित हो कि आंनद कुमार का स्थानांतरण पुलिस महानिदेशक सहकारिता के रूप में हो चुका है।
वहीं सीएम योगी के सबसे भरोसेमंद पुलिस अधिकारी प्रशांत कुमार को स्पेशल डीजी कानून व्यवस्था के साथ डीजी ईओडब्ल्यू का भी अतरिक्त प्रभार दिया गया है। इससे पहले शुक्रवार को सरकार ने डीएस चैहान के रिटायरमेंट होने के बाद डीजी भर्ती बोर्ड आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया है। जिनका कार्यकाल दो माह का बचा हुआ है। इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस विभाग में कई फेरबदल किए हैं। एडीजी अपराध मनमोहन कुमार बशाल को स्पेशल डीजी पॉवर कॉरपोरेशन बनाया है। डीजी सीबीसीआईडी विजय कुमार को विजलेंस विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।
क्यों हटाए गए डीजी जेल आंनद कुमार
डीजी जेल आनंद कुमार को सीएम योगी ने उनके पद से हटा कर सहकारिता प्रकोष्ठ भेज दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि सीएम का यह फैसला जेलों की बदहाल व्यवस्था को देखते हुए लिया गया है।
अब्बास निकहत मुलाकात मामला
जेलों की बदहाली और सुरक्षा पर तब सवाल तब सबसे ज्यादा उठे जब चित्रकूट जिला कारागार के अधिकारी जेल में बंद मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को जेल में ही अय्याशी करा रहे थे। इतना ही नहीं अब्बास की पत्नी निकहत बानो की अवैध रूप से अब्बास से मुलाकात कराई जा रही थी। खास बात यह रही कि मुलाकातें खुद जेल कर्मी करवा रहे थे।
उमेश पाल की हत्या बरेली जेल में रची गई!
इसके अलावा उमेश पाल हत्याकांड के कारण सूबे की योगी सरकार की छिछालेदर हुई और कानून व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हुए। शुरूआती जांच में सामने आया था कि हत्याकांड को अंजाम देने वाले शूटर की जेल अधिकारियों की मिलीभगत से बरेली जेल में बंद अशरफ अंसारी से मुलाकात हो रही थी। जांच में ऐसा भी सामने आ रहा है कि उमेश पाल की साजिश भी बरेली जेल में ही रची गई थी। इसके बाद से ही यूपी की जेलों को सुरक्षा पर सवाल उठने लगे थे। हाल ही में योगी सरकार ने आनंद कुमार से महानिदेशक कारागार का अतिरिक्त चार्ज वापस लेते हुए प्रमुख सचिव को सौंप दिया था।
जानें नए डीजी जेल के बारे में
कारागार मुख्यालय में 1990 बैच के आईपीएस एसएन साबत ने पुलिस महानिदेशक व महानिरीक्षक कारागार का पदभार ग्रहण कर लिया। इसके साथ ही वे कारागार विभाग के 102 वें मुखिया बन गए हैं। श्री साबत अब तक उत्तर प्रदेश पावर कार्पारेशन लिमिटेड के पुलिस महानिदेशक थे। विदित हो कि आनंद कुमार का स्थानांतरण पुलिस महानिदेशक सहकारिता के रूप में हो चुका है।
आईपीएस के रूप में चयनित होने के बाद जनपद वाराणसी से एएसपी के रूप में अपनी सेवाएँ प्रारंभ करने वाले श्री साबत अलीगढ़ और अयोध्या में भी एएसपी के रूप में कार्यरत रह चुके हैं। जबकि जालौन, मिर्ज़ापुर, मुज़फ़्फ़रनगर और बनारस ज़िलों में एसपी के रूप में सफलतापूर्वक कार्य कर चुके हैं। श्री साबत मिर्ज़ापुर कानपुर और बनारस के डीआईजी भी रह चुके हैं। वे सीआरपीएफ और रेलवे में आईजी के रूप में जबकि पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, इलाहाबाद व लखनऊ ज़ोन के एडीजी के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। लखनऊ ज़ोन के एडीजी रहते हुए उनका प्रमोशन पुलिस महानिदेशक के रूप में हुआ था।
सम्मान और पदक
श्री साबत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना में मानवाधिकारों के लिए अपनी सेवाएँ दी हैं। संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सराहनीय कार्य के लिए उन्हें विश्व शांति पदक प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2006 और 2014 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट सेवा का पुलिस पदक भी प्रदान किया है।
हिन्दी और अंग्रेजी के अच्छे लेखक
एक बेहद तेज तर्रार, ऊर्जस्वी और समर्थ पुलिस अधिकारी होने के साथ साथ श्री साबत हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समान अधिकार रखते हैं और इन भाषाओं के अच्छे लेखक के रूप में भी विख्यात है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से उनकी एक पुस्तक पुरस्कृत हो चुकी है। मानवाधिकार विषय पर उनके अनेक लेख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
(रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान, लखनऊ)
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