लखनऊः कड़कड़ाती ठंड में दमघोंटू हवा, मुंह पर मास्क लगाकर चलते लोग, खांसी, जुकाम व सांस के मरीजों की अस्पतालों में लंबी लाइन, घरों में कैद बच्चे-बुजुर्ग व दिन के समय भी सार्वजनिक स्थलों पर पसरा सन्नाटा। अगर ऐसा नजारा आपको नवंबर महीने के मध्य में राजधानी लखनऊ में दिखे, तो हैरान होने की कोई जरूरत नही हैं। वजह यह है कि अभी वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने वाले जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं। जैसे-जैसे सुबह और शाम गुलाबी ठंड पड़ने लगी है, वैसे-वैसे जानलेवा खतरे का पारा भी बढ़ता ही जा रहा है।
मॉर्निंग वॉक पर निकलने वालों की फूलने लगी सांसे
सुबह के समय मॉर्निंग वॉक पर निकलने वाले लोगों की सांसे अब फूलनी शुरू हो गई हैं और वह मुंह पर मास्क लगाकर ही बाहर निकल रहे हैं। हालांकि, अभी आठ-नौ बजे तक धूप खिलने की वजह से मौसम साफ हो जा रहा है लेकिन बीतते दिन के साथ-साथ धुंध का पहरा और भी घना होता जाएगा। दीपावली का त्यौहार नजदीक है और लोग जोर-शोर से इसे मनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इस त्यौहार पर शहर में जमकर आतिशबाजी भी होगी, जो कहीं न कहीं राजधानी की हवा में जहर घोलने का काम करेगी।
इस गहराते संकट से जहां आम लोगों की नींद अभी से उड़ी हुई है, वहीं सरकारी महकमे के जिम्मेदार अभी भी गहरी नींद में हैं। बुधवार 01 नवंबर को आईक्यूएयर के मुताबिक, राजधानी लखनऊ का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 154 है, जो कि अस्वास्थ्यकर की श्रेणी में है। इस आंकड़े से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब ठंड अपने उच्चतम स्तर पर होगी, तो ये आंकड़े कितने उच्च स्तर पर पहुंच जाएंगे। राजधानी के औद्योगिक व व्यावसायिक क्षेत्रों के साथ ही आवासीय इलाकों की हवा में भी तेजी से प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर के औद्योगिक क्षेत्र तालकटोरा, व्यावसायिक क्षेत्र लालबाग-हजरतगंज तथा आवासीय इलाकों गोमतीनगर-अलीगंज के वायु प्रदूषण की ऑनलाइन निगरानी की जाती है, लेकिन इन जगहों की हवा दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। शहर की हवा को शुद्ध रखने की जिम्मेदारी लखनऊ नगर निगम, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी व जिला प्रशासन की है लेकिन अभी तक इन महकमों के अधिकारी वायु प्रदूषण को लेकर तनिक भी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। राजधानी में सफाई व्यवस्था दुरूस्त रखने व खुले में कूड़ा जलाने से रोकने की जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन इस काम में वह पूरी तरह फेल नजर आ रहा है।
तमाम स्थानों पर अभी भी खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है, जिससे निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी तमाम जहरीली गैसें हवा को और भी प्रदूषित बना रही है। इसके अलावा शहर में हजारों की संख्या में मौजूद झुग्गी-झोपड़ियों में जलने वाले लकड़ी व कोयले के चूल्हे भी हवा में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। शहर में अभी भी निर्माण कार्य में धड़ल्ले से खुले में कराए जा रहे हैं। निर्माण कार्य कराने वाले लोग न तो ग्रीन नेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और न ही बिल्डिंग मैटेरियल्स को ढक कर रख रहे हैं। ऐसे में दिन भर चलती हवा के साथ उसके सूक्ष्म कण वातावरण में मिलकर उसे जहरीला बना रहे हैं।
सड़क के किनारे बनी पटरियों पर जमी धूल दिन भर गुजरते वाहनों के साथ उड़कर हवा में मिल रही है लेकिन न तो वाटर फाॅगिंग कराई जा रही है और न ही धूल को साफ करने के लिए किसी प्रकार का अभियान चलाया जा रहा है। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए भले ही पुलिस-प्रशासन लाख दावे करता हो, लेकिन दिन भर सड़कों पर वाहन रेंगते ही रहते हैं और गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ हर समय हवा को प्रदूषित करता रहता है। शहर की व्यवस्ततम सड़कों से लेकर प्रमुख बाजारों में सैकड़ों की संख्या में वाहन जाम में फंसे हुए नजर आ रहे हैं।
निर्माण स्थलों पर लगाने होंगे एयर क्वॉलिटी मानीटरिंग सिस्टम
शहरों में अब बिना ढके भवनों का निर्माण कार्य अब नहीं कराया जा सकेगा क्योंकि विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद अब इसकी सख्ती से निगरानी करेंगे। निर्माणाधीन भवन के साथ ही उसमें प्रयुक्त होने वाले निर्माण सामग्री व मलबे को भी ढक कर रखना होगा, ताकि उससे वायु प्रदूषण न फैलने पाए। यहीं नहीं निर्माण कार्य कराने वालों को वायु प्रदूषण पर नजर रखने के लिए एक माह के भीतर ही एयर क्वॉलिटी मानीटरिंग सिस्टम भी लगवाना होगा। इसको लेकर आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से आवास आयुक्त के साथ ही विशेष क्षेत्र के अध्यक्ष, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और विनियमित क्षेत्र के जिलाधिकारियों को जारी शासनादेश में वायु प्रदूषण के प्रभावी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
दीपावली को लेकर जारी हुई एडवाइजरी
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीपावली त्यौहार को लेकर एडवाइजरी जारी की है और लोगों से कुछ नियमों का पालन करने की अपील की है। बोर्ड ने अपील की है कि अत्यधिक शोर के पटाखों का प्रयोग न करें। शांत क्षेत्रों जैसे- अस्पताल, शिक्षण संस्थान, न्यायालय, धार्मिक स्थल या सक्षम प्राधिकारी द्वारा घोषित क्षेत्र के कम से 100 मीटर के दायरे में पटाखें न फोड़ें। इसके अलावा निर्धारित समयसीमा के भीतर हरित यानी बेरियम साल्ट रहित पटाखों को ही फोड़ें।
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