Tuesday, January 21, 2025
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वन विभाग की अनूठी पहल, बांस आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम में लोगों को सिखाये जायेंगे कौशल विकास के गुर

झांसीः बुन्देलखण्ड क्षेत्र झांसी के वन संरक्षक कैलाश प्रकाश ने कहा कि किसानों के लिए बांस की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। लेकिन बांस की खेती में धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि बांस की खेती रबी, खरीफ या जायद सीजन की खेती नहीं होती। इसको फलने-फूलने के लिए लगभग 3-4 साल का समय लग जाता है। हालांकि पहली फसल के कटते ही किसान को अच्छी आमदनी मिल जाती हैं। किसान चाहें तो बांस की खेती के साथ कोई दूसरी फसल भी लगा सकते हैं। बांस की खेती के साथ दूसरी फसलों की एकीकृत खेती करने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहेगी। साथ ही, दूसरी फसलों से किसानों को समय पर अतिरिक्त आय भी मिल जाएगी।
वन संरक्षक कैलाश प्रकाश भगवन्तपुरा कॉमन फैसिलिटी सेन्टर पर नेशनल बैम्बू मिशन के अन्तर्गत बांस आधारित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बांस आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण से क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और यह लोगों की आय का बहुत बड़ा स्त्रोत बनेगा। भारत सरकार द्वारा संचालित नेशनल बैम्बू मिशन के अन्तर्गत वन विभाग की यह अनूठी पहल है।

बांस आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण की जिम्मेदारी नवी मुम्बई की संस्था ‘सस्टेनेविलिटी एण्ड बेटर मैनेजमेंट’ को दी गयी है। इस प्रशिक्षण में जनपद के 15 स्वयं सहायता समूह के सैकड़ों लोग प्रशिक्षण प्राप्त करेंगें। कहां की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से जहां एक और स्वाबलंबी बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा वहीं उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा संचालित नेशनल बैम्बू मिशन के अन्तर्गत झांसी नगर के भगवन्तपुरा में गत वर्ष कॉमन फैसिलिटी सेन्टर स्थापित किया गया था, जिसका उददेश्य क्षेत्रीय लोगों को बांस आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान कर और उनको विभिन्न प्रकार के बांस के उत्पाद तैयार करके आत्मनिर्भर बनाना है। वन विभाग द्वारा बांस आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को बांस के पौधे भी भेंट किये गये।

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इस तीन दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण की जिम्मेदारी देश की प्रसिद्धि प्राप्त संस्था सस्टेनेविलिटी एण्ड बेटर मैनेजमेंट नवी मुम्बई, महाराष्ट्र को दी गयी है। इस प्रशिक्षण में भाग ले रहे जनपद के विभिन्न स्वयं सहायता समूह के सैकड़ो लोगों को बांस से खिलौने, कुर्सी, अगरबत्ती, बायोचार, डलिया, फूलदान, राखी, चटाई इत्यादि बनाये जाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस अवसर पर प्रभागीय वनाधिकारी एमपी गौतम ने बताया कि इस कॉमन फैसिलिटी सेन्टर को किसी एफपीओ के माध्यम से संचालित कराया जायेगा, जिससे इसके उत्पाद को बाजार में बिक्री करने में सुविधा हो और कार्य करने वाले लोगों को अधिक से अधिक रोजगार व आय प्राप्त हो सके। कार्यक्रम में सस्टेनेविलिटी एण्ड बेटर मैनेजमेंट के चेयरमेन पी. कुमार ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुये उनके उत्पादों को खुले बाजार में उचित दामों पर बिक्री करवाने के विभिन्न स्रोतों का उदाहरण देते हुये आश्वस्त किया कि जो भी उत्पाद इस कॉमन फैसिलिटी सेन्टर में बनाये जायेगें उनको बिक्री करने की जिम्मेदारी उनकी संस्था लेगी।

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