गुवाहाटीः प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) स्वाधीन (स्व) के प्रमुख परेश बरुवा और सरकार के बीच बातचीत की शुरुआती प्रक्रिया जारी रहने के शनिवार को संकेत मिले हैं। गत 15 मई को पहली बार कोरोना का हवाला देते हुए उल्फा (स्व) ने एकतरफा युद्ध विराम घोषित करने वाले परेश बरुवा ने शनिवार को फिर से संघर्ष विराम की अवधि को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है। परेश बरुवा के फैसले को मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने सकारात्मक कदम बताया है।
परेश बरुवा की घोषणा असम के लोगों के लिए शुभ संकेत के तौर पर माना जा रहा है। ऐसे अच्छे संकेत गत 15 मई को असम को पहली बार तब मिला था जब डॉ. हिमंत बिस्व सरमा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही संप्रभु स्वतंत्र असम की मांग से कहीं न कहीं अलग हटकर कोरोना की दुहाई देते हुए तीन महीने का उल्फा (स्व) ने संघर्ष विराम किया था।
तीन महीने के युद्ध विराम की अवधि समाप्त होने के दिन परेश बरुवा ने शनिवार को फिर से एकतरफा युद्धविराम की अवधि को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया। मीडिया को जारी बयान के जरिए उल्फा (स्व) के उपाध्यक्ष और सेना प्रमुख परेश बरुवा ने घोषणा की कि संघर्ष विराम की अवधि तीन महीने तक बढ़ा दी गई है क्योंकि कोरोना की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में उल्फा (स्व) में सभी सैन्य अभियान इस युद्धविराम के दौरान बंद रहेंगे।
फैंसी बाजार में पुराने जेल परिसर में बनने वाले बॉटनिकल गार्डेन की आधारशिला रखने के लिए आयोजित कार्यक्रम से इतर मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने उल्फा (स्व) के फैसले का स्वागत करते हुए परेश बरुवा के नेतृत्व वाले उल्फा (स्व) के कदम को सकारात्मक बताया है।
डॉ. सरमा के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद से ही उल्फा (स्व) के प्रमुख विशेष सद्भावना दिखाते देखे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री और परेश बरुवा दोनों ही चर्चा का सकारात्मक माहौल बनाने के लिए विशेष सद्भावना दिखा रहे हैं। दोनों ने पहले ही जाहिर कर दिया है कि उन्हें समझदारी के साथ आगे बढ़ना है। मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने भी सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि चार दशक पुरानी समस्या को एक-दूसरे के संबंध में सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाते हुए उनके समाधान पर ध्यान दिया जाएगा।
हालांकि, मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने इस प्रतिष्ठित वार्ता प्रक्रिया की शुरुआत करते हुए कुछ गोपनीयता की वकालत की है। इस संबंध में पता चला है कि एक विशेष समूह ने चर्चा प्रक्रिया का शुरुआती काम पहले ही शुरू कर दिया है।
यह भी पढ़ेंः-स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 75 महिला कैदी रिहा, राज्यपाल बोलीं-घटना भूलें, बदले की भावना से बचें
उल्लेखनीय है कि उल्फा अपने जन्म के बाद से ही प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का बहिष्कार करते हुए लगातार बंद का आह्वान करते रहा है। लेकिन, यह पहली बार है जब उल्फा (स्व) ने स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार नहीं किया है। इससे यह बात साफ नजर आ रही है कि उल्फा (स्व) और सरकार के बीच वार्ता प्रक्रिया अंदरखाने जारी है। यह कदम राज्य की शांति और विकास के लिए बेहद अहम है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)