नई दिल्लीः दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत देशभर के तमाम केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों (रजिस्टार) को यूजीसी ने सर्कुलर जारी किया है। यूजीसी ने अपने सर्कुलर में कहा है कि सभी विश्वविद्यालय, कॉलेजों में सभी स्तरों पर शैक्षिक व गैर शैक्षिक स्तर पर ईडब्ल्यूएस व दिव्यांगों के आरक्षण को लागू कर इसकी जानकारी सार्वजनिक करें। यूजीसी ने सर्कुलर में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी केंद्रीय सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, शिक्षा संस्थानों को सरकार की आरक्षण नीति संबंधी नीति को उचित तरीके से लागू करना अनिवार्य है। दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने यूजीसी द्वारा जारी आरक्षण संबंधी सर्कुलर पर खुशी जाहिर करते हुए इसे तुरंत लागू करने की डीयू के कार्यवाहक कुलपति से मांग की है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा विश्वविद्यालयों को भेजे गए अपने सर्कुलर में कहा गया है कि अपने यहां सभी शैक्षिक व गैर-शैक्षिक ( टीचिंग और नॉन टीचिंग ) पदों पर सरकार की आरक्षण नीति को उचित तरीके से लागू करना अनिवार्य है। साथ ही समय-समय पर आरक्षण रोस्टर को अपनी वेबसाइट तथा आम जगहों पर भारत सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार उसे प्रदर्शित करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया है कि आरक्षण और रोस्टर को लागू करते समय सरकार के द्वारा जारी नियम 2 जुलाई 1997 से लागू करते हुए दिया जाए। यूजीसी द्वारा इस सर्कुलर में विश्वविद्यालयों से कहा है कि शैक्षिक व गैर-शैक्षिक सभी पदों पर रिक्त बैकलॉग सीटों पर आरक्षित सीटों को भरा जाए। उन्होंने इस संदर्भ में पूर्व में यूजीसी के द्वारा भेजे गए पत्र का हवाला दिया है।
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उन्होंने इस बाबत शैक्षिक व गैर-शैक्षिक पदों पर आरक्षण के साथ छात्रों के एडमिशन तथा हॉस्टल में भी इस नीति को लागू करने के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देष दिये हैं। इसके अलावा सभी विश्वविद्यालय, कॉलेज इस संदर्भ में अधिसूचना भी जारी करें कि कितने आरक्षित श्रेणी के एडमिशन हुए हैं। इस सर्कुलर में यह भी निर्देश दिया गया है कि जो सूचनाएं व निर्देश दिए गए हैं, उन्हें सभी संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों को भी भेजा जाए। सर्कुलर में यूजीसी ने सख्त कदम उठाने की बात की है और कहा है कि एससी, एसटी, ओबीसी पदों को भरने के लिए मॉनिटर करने को उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की जाए।