‘उन्होंने हमारी पीठ पर छुरा घोंपा है, मैं उसे चुकाऊंगा…’ उद्धव ठाकरे ने दी चेतावनी

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मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने गुरुवार को चेतावनी दी कि उनकी पार्टी 11 महीने पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) और उनके समूह द्वारा पीठ में छुरा घोंपने का बदला लेगी। भारतीय कामगार सेना (BKS) की 55 वीं वर्षगांठ समारोह में बोलते हुए, ठाकरे ने कहा कि हर किसी के दिन आते हैं, लेकिन अभी हमारे दिन नहीं गए हैं।

ठाकरे ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ”उन्होंने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है। मैं उसे अवश्य चुकाऊंगा। हम उन्हें जो भी ‘प्रसाद’ देंगे, वह उसे जीवनभर याद रखेंगे।” इस मौके पर बीकेएस के महासचिव रघुनाथ कुचिक और अन्य शीर्ष संघ के नेता भी मौजूद रहे।

‘असंवेदनशील’ होने का लगाया आरोप –

पूर्व मुख्यमंत्री ने शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मजदूरों के मुद्दों के प्रति ‘असंवेदनशील’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें केवल उद्योगपतियों की चिंता है न कि मजदूरों या किसानों की। सत्तारूढ़ शिवसेना के मंत्री उदय सामंत पर मेगा-प्रोजेक्ट्स का विरोध करने का आरोप लगाते हुए ठाकरे ने कहा कि जब महा विकास अघाड़ी सरकार में वे मुख्यमंत्री थे, तब महाराष्ट्र में ढाई लाख करोड़ रुपये का निवेश आया था और राज्य की औद्योगिक नीतियों की वजह से 25 बड़े उद्योग भी आकर्षित हुए थे।

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सरकार के दावों पर उठाए सवाल –

इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने सरकार के दावों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार अगर परियोजनाओं के जनहित में होने का दावा कर रही है तो फिर उन्हें लोगों पर थोप क्यों रही है? उन्होंने बुलेट ट्रेन, आरे कार शेड, रत्नागिरी पेट्रोकेमिकल परियोजनाओं आदि के विरोध का हवाला दिया। ठाकरे ने कहा, अगर मैं सत्ता में होता, तो मैं इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने से पहले स्थानीय लोगों की सहमति लेता। उन्हें पहले आंदोलनकारी (रत्नागिरी) ग्रामीणों की समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए और वह परियोजनाओं का विरोध क्यों कर रहे हैं।

ठाकरे ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से मुंबई-नागपुर सुपर एक्सप्रेस-वे (Mumbai-Nagpur Expressway) का विरोध करने वालों से मिलने गए थे और उनके आश्वस्त होने के बाद, सरकार ने पारदर्शी तरीके से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकर्ताओं से दिल्ली में किसानों के आंदोलन (2020-2021) से सीख लेने का आह्वान किया, जो तीन कठोर कृषि कानूनों के खिलाफ था और सरकार को उन्हें वापस लेना पड़ा।

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