नई दिल्लीः तुर्की और सीरिया (Turkey Earthquake:) में आए विनाशकारी 7.8 तीव्रता के भूकंप में अब तक 4,890 लोगों की मौत हो चुकी है। यह इस दशक के सबसे घातक भूकंपों में से एक हो सकता है। मंगलवार सुबह तक तुर्की में मरने वालों की संख्या 3,381 थी, जबकि सीरिया में यह बढ़कर 1,509 हो गई। इस भूकंप में मारने वालों में सबसे ज्यादा बच्चे-बुजुर्ग और महिलाएं शामिल हैं। अभी भी हजारों लोग मलबे में दबे हुए हैं। दोनों देशों में लोग सड़कों पर रात हजार रहे हैं। आलीशान और बहुमंजिला इमारते अब कब्र की तरह बन चुकी हैं। दुनियाभर से बचाव दल प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान चल रहे हैं। भारत की भी मदद के लिए NDRF की 2 टीमें पहुंच चुकी हैं।
रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि समय, स्थान, अपेक्षाकृत शांत फॉल्ट लाइन और ढह गई इमारतों के कमजोर निर्माण सहित अन्य कारकों के संयोजन के कारण भूकंप इतना विनाशकारी था। भूकंप (Turkey Earthquake:) ने अपनी तीव्रता के कारण ऐसी तबाही मचाई। 1939 के बाद से तुर्की में आया यह सबसे शक्तिशाली भूकंप था। रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंप क्षेत्रों में से एक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1999 में, उत्तरी तुर्की क्षेत्र में उत्तरी अनातोलियन फॉल्ट लाइन के साथ आए भूकंप में 17,000 से अधिक लोग मारे गए थे, लेकिन सोमवार का भूकंप देश के दूसरी तरफ पूर्वी अनातोलियन फॉल्ट के साथ आया था। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे में मानद शोध सहयोगी डॉ. रोजर मुसन ने कहा कि ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट ने दो शताब्दियों में 7 तीव्रता के भूकंप का अनुभव नहीं किया था।
भूकंप इतना विनाशकारी क्यों था?
दरअसल पृथ्वी का भीतरी भाग अलग-अलग प्लेटों से बना है, जो एक-दूसरे से चिपकी हुई हैं। अक्सर ये प्लेटें हिलती हैं और पास की प्लेटों से घर्षण होता है। कभी-कभी तनाव इतना बढ़ जाता है कि एक प्लेट दूसरी प्लेट पर चढ़ जाती है जिससे सतह पर भी हलचल होने लगती है। इस मामले में अरब प्लेट उत्तर की ओर बढ़ रही है और यह अनातोलियन प्लेट के खिलाफ रगड़ रही है और ऐसा विनाशकारी भूकंप आया और परिणाम हम सभी के सामने है।
सरकारी की तैयारियां पर उठे सवाल क्यों
अब सवाल उठता है कि सरकार ने ऐसे विनाशकारी संकट से निपटने की तैयारी क्यों नहीं की? जानकारों कि माने तो यह एक ऐसा इलाका है जहां 200 साल से ज्यादा समय से इतना विनाशकारी भूकंप नहीं आया था और न ही हाल के दिनों में ऐसे कोई संकेत मिले थे। इसलिए ऐसी आपदा का सामना करने की तैयारी कम थी और इसके चलते इतनी बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं. इसके साथ ही 7.8 तीव्रता के भूकंप का पहला झटका तब आया जब तुर्की और सीरिया में सुबह हुई। उस समय ज्यादातर लोग अपने घरों में सो रहे थे। अगर यह घटना दिन में कभी भी हुई होती तो शायद तबाही का मंजर इतना भयानक नहीं होता।
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