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आजादी के 75 साल बाद इन गांवों में पहली बार फहराया गया तिरंगा, जानें क्यों

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जगदलपुर: बस्तर संभाग (Bastar) में कई नक्सल प्रभावित गांव हैं जो अब नक्सलियों से मुक्त हो चुके हैं। नक्सल प्रभावित चिन्नागेलूर, तिमेनार, टोंडामरका, डब्बा-मरका समेत बस्तर (Bastar) के कई अंदरूनी इलाकों में नक्सली काला झंडा फहराते थे, जहां साल 2023 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया। एक अनुमान के मुताबिक, बस्तर संभाग (Bastar) के 80 फीसदी गांव आंशिक या पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर के सुकमा-बीजापुर-दंतेवाड़ा के सीमावर्ती इलाकों के 20 फीसदी गांव और अबूझमाड़ का बड़ा हिस्सा अब भी नक्सलियों के कब्जे में है।

गौरतलब है कि नक्सलगढ़ में पुलिस और सुरक्षा बल लगातार नक्सलियों के खिलाफ नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंप खोले जा रहे हैं। बस्तर संभाग (Bastar) में ऐसे ही कई नक्सल प्रभावित इलाके हैं, जहां अब भी प्रशासन की पहुंच नहीं है। यह नहीं बताया जा सकता कि ऐसे कितने नक्सल प्रभावित गांव हैं, जहां आजादी के 75 साल बाद भी तिरंगा नहीं फहराया जा रहा है। अब संवेदनशील गांवों चिन्नागेलूर, तिमेनार, टोंडामरका, डब्बामरका में पहली बार आजादी का जश्न मनाने और जवानों के साथ तिरंगा यात्रा निकालने की तस्वीर सामने आई है।

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बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि पहली बार चिन्नागेलूर, तिमेनार, टोंडामरका, डब्बामरका समेत बस्तर (Bastar) के कई अंदरूनी इलाकों में आजादी का जश्न मनाया गया। विकास, विश्वास और सुरक्षा की त्रिवेणी कार्ययोजना से ही यह साकार हुआ है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों में नक्सली पहले काला झंडा फहराते थे, लेकिन इस बार उन्होंने तिरंगा झंडा फहराया है। इलाके में कई पुलिस कैंप भी खोले गए हैं। जिसका लगातार फायदा मिल रहा है। ग्रामीण विकास से जुड़ रहे हैं, और नक्सली भाग रहे हैं।

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