निजी वाहनों से परिवहन विभाग जबरिया वसूल रहा मिसलेनियस फीस

12

Transport department is forcibly collecting miscellaneous fees from private vehicles

लखनऊः परिवहन विभाग निजी वाहन स्वामियों से गाड़ियों के री-रजिस्ट्रेशन कराने पर मिसलेनियस फीस की वसूली कर रहा है, जिसका उल्लेख केंद्रीय मोटरयान नियमावली के नियम 81 में सभी प्रकार की फीस का निर्धारण किया गया है। इसके तहत ही परिवहन विभाग फीस की वसूली करता है। इससे अलग फीस निर्धारण का अधिकार सिर्फ यूपी सरकार को है। ऐसे में केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार के निर्धारण के बिना फीस वसूलना बड़े सवाल खड़े कर रहा है, वहीं आम जनता की इस समस्या को समझने और इसका निस्तारण करने की बजाय परिवहन विभाग के उच्चाधिकारी इसको सही ठहरा रहे हैं।

आम जनता की समस्या को लेकर उच्चाधिकारियों का गैर-जिम्मेदाराना रवैया भी समझ से परे है। ऐसे में यह कहना भी गलत न होगा कि परिवहन विभाग के अफसर केंद्र व राज्य सरकार को सुपरसीड कर अपना नियम-कानून आम जनता पर थोप रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गाड़ियों के री-रजिस्ट्रेशन में दो पहिया निजी वाहन से 400 रुपए और चार पहिया निजी वाहन से 800 रुपए मिसलेनियस फीस वसूली जा रही है। खास बात यह है कि यह फीस भी टीआर काउंटर से काटी जा रही है, जबकि लगभग सभी कार्यों से सम्बंधित फीस ऑनलाइन यानी बाहर से ही कट रही है। ऐसे में सिर्फ एनआईसी द्वारा वाहन सॉफ्टवेयर में बदलाव कर मिसलेनियस के नाम पर जबरन फीस की वसूली गलत है, जबकि एमवी एक्ट में फीस के मामले में मिसलेनियस शब्द का कहीं भी जिक्र नहीं है, बावजूद इसके इस शब्द की आड़ में फीस ली जा रही है।

यह भी पढ़ें-राजधानी पुलिस ने कसी कमर, सीसीटीवी रखेंगे अपराधियों पर नजर

भारत सरकार ने 01 अप्रैल 2022 से वाहन के पुनः पंजीयन यानी री-रजिस्ट्रेशन की फीस में इजाफा कर दिया था। इस क्रम में अपर परिवहन आयुक्त राजस्व ने 26 मई 2022 को सभी पंजीयन अधिकारियों को आदेश जारी किया था। आदेश में केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 52, उपनियम (2) का उल्लेख करते हुए गैर-व्यावसायिक यानी निजी वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन के समय फिटनेस टेस्ट कराने व केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 81 की सारणी के क्रमांक 10ए में दिए गए शुल्क की अंतर धनराशि को जमा कराने को कहा गया है। केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 56 (1) में सिर्फ व्यावसायिक वाहन के फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किए जाने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 56 की उपधारा 7 गैर-व्यावसायिक यानी निजी वाहनों पर तभी लागू होगी, जब इसकी अधिसूचना केंद्र सरकार द्वारा जारी की जाएगी।

फार्म-38 पर अलग से जारी होता है फिटनेस प्रमाणपत्र

व्यावसायिक वाहन का फिटनेस प्रमाणपत्र अलग से फार्म-38 पर जारी किया जाता है, जबकि गैर-व्यावसायिक यानी निजी वाहन का सर्टिफिकेट फार्म-25 के अधोभाग पर ही प्रमाणित किया जाता है। निजी वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट व्यावसायिक वाहन की तरह अलग फार्म पर नहीं जारी किए जाते हैं। केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 62 के तहत वसूली जाने वाली फीस सिर्फ व्यावसायिक वाहन से सम्बंधित है। केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 81 की सारणी के क्रमांक 10 के अंतर्गत वसूली जाने वाली फीस 15 वर्ष से अधिक यनी इससे कम पुराने व्यावसायिक वाहन पर लागू हैं और 10ए में दी गई फीस 15 वर्ष से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहन पर लागू है। इसे ही केंद्र सरकार द्वारा 01 अप्रैल 2022 से लागू किया गया है। ऐसे में केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 81 की सारणी के क्रमांक 10, 10ए, 11 व 11ए जो इस नियमावली के नियम 62 (2) के तहत आते हैं, सिर्फ व्यावसायिक वाहनों पर ही लागू हैं, न कि निजी वाहनों पर। इस सम्बंध में परिवहन आयुक्त व अपर परिवहन आयुक्त राजस्व को प्रत्यावेदन भी दिया जा चुका है।

इंस्पेक्शन के नाम पर ली जा रही फीस

परिवहन विभाग के अफसरों का कहना है कि निजी वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन की ली जा रही मिसलेनियस फीस इंस्पेक्शन फीस है। एनआईसी को इस बाबत वाहन फोर सॉफ्टवेयर में बदलाव के लिए पत्र भी भेजा गया है, जल्द ही वाहन फोर सॉफ्टवेयर में मिसलेनियस फीस का ऑप्शन जोड़ दिया जाएगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जिस फीस की वसूली का नोटिफिकेशन केंद्र सरकार अथवा प्रदेश सरकार ने जारी ही नहीं किया, उसको परिवहन विभाग कैसे वसूल सकता है। इसके साथ ही फीस के मामले में एनआईसी को कैसे निर्देशित कर सकता है। जानकारों की मानें तो केंद्र द्वारा निर्धारित फीस की वसूली ही परिवहन विभाग कर सकता है। केंद्र के निर्धारण के बगैर वसूली जा रही फीस कर की वंचना यानी चोरी के दायरे में आता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि परिवहन विभाग आम लोगों से मनमाने तरीके से फीस वसूल रहा है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)