बिना सुरक्षा के ही बैंक भेजा जा रहा परिवहन निगम का कैश

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Transport Corporation Recruitment
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Transport Corporation: परिवहन निगम के कैश बिना सुरक्षा के ही बैंक में जमा होने के लिए भेजे जा रहे हैं। कैश जमा करने के लिए न तो कैश वैन का इंतजाम है और न ही कैश ले जाते समय बंदूकधारी का ही इंतजाम है। ऐसे में लाखों रुपए कैश जमा करने वाले कर्मी पर हमेशा ही जानमाल का खतरा मंडराता रहता है, बावजूद इसके परिवहन निगम प्रबंधन इसको लेकर लापरवाह बना हुआ है।

सूत्रों की मानें तो पैसे बचाने के चक्कर में निगम प्रबंधन ने कैश वैन तक की व्यवस्था बंद रखी है। यही नहीं कैश रूम में कैमरे तक नहीं लगे हुए हैं। ऐसे में कैश चोरी होने की घटना अथवा अन्य किसी प्रकार की अनहोनी होने पर साक्ष्य मिलना भी मुश्किल है। दरअसल, परिवहन निगम में ऑनलाइन टिकट भुगतान का आंकड़ा नाम मात्र का है। यात्रियों को भले ही मैनुअल की जगह इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग मशीन (ईटीएम) के जरिए टिकट दिए जा रहे हैं, लेकिन अधिकांश यात्री टिकट का भुगतान कैश यानी नगद ही करता है। ऐसे में टिकट के एवज में मिला नगद पैसा बस वापस लौटने पर परिचालक कैश रूम में जमा करता है। इस प्रकार कैश रूम में रोजाना लाखों रुपए नगद जमा होते हैं।

जिनको बैंक में जमा किया जाता है। दो-तीन दिन अवकाश पड़ने की स्थिति में कैश का आंकड़ा 60 से 70 लाख रुपए तक पहुंच जाता है। इन पैसों को ही बैंक तक सुरक्षित पहुंचाने के इंतजाम परिवहन निगम नहीं कर रहा है। आलम यह है कि लाखों रुपयों को सिर्फ कैशियर व चालक के भरोसे स्टॉफ कार अथवा बस से भेजा रहा है। ऐसे में कैश जमा करने का सारा रिस्क डिपो प्रबंधक पर है।

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कैश चोरी हो जाने पर रिकवरी भी डिपो प्रबंधक से ही की जाएगी। गौरतलब है कि बीते 13 नवम्बर को सैफई डिपो के कैश रूम से 93,4,255 रुपए गायब हो गए। कैश रूम में 10 से 12 नवम्बर तक बस संचालन से प्राप्त आय जमा की गई थी। उक्त अवधि में अवकाश होने के चलते कैश बैंक में जमा नहीं किया गया था। परिवहन निगम के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पूर्व में डिपो में जमा कैश को ले जाने के लिए बैंक से कैश वैन आती थी। बीते करीब साल भर से डिपो का कैश ले जाने के लिए कैश वैन आना बंद हो गई है।

परिवहन निगम को कैश वैन के एवज में सम्बंधित बैंक को पैसा देना पड़ता था। बैंक को देने वाला पैसा बचाने के लिए चक्कर में कैश वैन की व्यवस्था को ही समाप्त कर दिया गया। अब कैश रूम प्रभारी व चालक के भरोसे असुरक्षित तरीके से कैश स्टॉफ कार अथवा बस से बैंक भेजे जा रहे हैं। इससे कैश के साथ निगम कर्मियों की सुरक्षा भी राम भरोसे है। ऐसे में कैश लूटे जाने के साथ निगम कर्मियों की जान भी खतरे में रहती है। वर्ष 2015-16 में इसी प्रकार उन्नाव डिपो में लूटपाट की घटना घटित हो चुकी है।

गार्ड भी नहीं मिल पाते हैं पूरे

बस अड्डों की सुरक्षा गार्ड के जिम्मे हैं। टेंडर के माध्यम से एजेंसी के जरिए गार्ड लिए जाते हैं। सूत्रों के अनुसार बस अड्डों की सुरक्षा को लेकर कभी भी पर्याप्त संख्या में गार्ड उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। मौके पर और कागजों में तैनात किए गए गार्ड की संख्या में काफी अंतर रहता है। क्षेत्रों और डिपो स्तर से लगातार गार्ड बढ़ाए जाने की डिमांड भेजी जाती रहती है। इसके बाद भी डिमांड के अनुसार गार्ड नहीं दिए जाते हैं। यही हाल कैश रूम के बाहर तैनात किए जाने वाले बंदूकधारी गार्ड का भी है। नियमतः आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में बंदूकधारी व डंडाधारी गार्ड कैश रूम व अन्य जगहों पर तैनात होने चाहिए। हालांकि, जरूरत के मुताबिक गार्ड उपलब्ध न होने से कैश के साथ बस अड्डों की भी सुरक्षा के इंतजाम भगवान भरोसे है।

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