कोलकाता: पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दक्षिण 24 परगना के चंपाहाटी विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में चार हजार फर्जी मतदाताओं के नाम शामिल होने का मामला सामने आया है। इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है। तृणमूल ने इसे भाजपा की साजिश करार दिया है, जबकि भाजपा का दावा है कि सत्तारूढ़ पार्टी खुद इस धांधली में शामिल है।
विशेष बूथों पर बढ़े मतदाताः TMC
जानकारी के मुताबिक 2023 के पंचायत चुनाव में चंपाहाटी विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में 18 हजार 200 नाम थे, लेकिन इस बार यह संख्या बढ़कर 22 हजार 400 हो गई है। यानी हर बूथ पर औसतन 300 से 400 नए मतदाता जुड़े। खास बात यह है कि नए नामों में ज्यादातर मतदाता मुर्शिदाबाद, मालदा और सिलीगुड़ी के हैं। यहां तक कि हर फोन नंबर पर 4-5 लोगों के नाम दर्ज पाए गए हैं। पंजीकरण जांच के दौरान इस अनियमितता का खुलासा हुआ, जिसके बाद बीडीओ कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई गई है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही चुनाव आयोग और भाजपा पर फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने का आरोप लगा चुकी हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था, “स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद कई जगहों पर बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची से नहीं हटा रहे हैं। कई लोग सालों से इलाके में नहीं रह रहे हैं, लेकिन उनके नाम अभी भी सूची में हैं।” महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनावों का हवाला देते हुए ममता ने आरोप लगाया था कि भाजपा बिहार-उत्तर प्रदेश के लोगों के नाम ऑनलाइन मतदाता सूची में जोड़ रही है और चुनाव आयोग को नियंत्रित कर रही है। अब टीएमसी चंपाहाटी में सामने आए इस मामले को अपने आरोपों की पुष्टि के तौर पर देख रही है।
टीएमसी और बीजेपी में छिड़ी जंग
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “दरअसल यह भाजपा की साजिश है। चुनाव आयोग की मिलीभगत से बाहरी लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं। भौतिक सत्यापन रोककर ऑनलाइन पंजीकरण किया जा रहा है।” उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार इस साजिश का पर्दाफाश करने के लिए सतर्क है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अधिकारियों को कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है।
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वहीं, भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा, “मतदाता सूची में नाम जोड़ने का काम राज्य के अधिकारी कर रहे हैं, जो तृणमूल सरकार के अधीन हैं। दरअसल, तृणमूल खुद फर्जी मतदाताओं को सूची में शामिल करके चुनावी लाभ लेना चाहती है।”
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