रायपुर: साइबर सेल राजनांदगांव की टीम ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी (International cyber fraud) मामले में अंतरराष्ट्रीय गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। ठगी के आरोपी श्रेणिक कुमार संघवी उर्फ अजय मेहर नामक आरोपी को छत्तीसगढ़ पुलिस ने गुजरात के वलसाड से गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी भारत से खच्चर बैंक खाते लेकर उसे कंबोडिया के कॉल सेंटर में भेजकर भारतीयों से करोड़ों रुपए की ठगी करते थे। श्रेणिक उर्फ अजय मेहर नामक आरोपी ने अब तक करीब 10 करोड़ रुपए की ठगी की है।
International cyber fraud: चीन और कंबोडिया से जुड़े हैं तार
अन्य दो आरोपी शुभम तिवारी और दीपक नारेडी राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के निवासी हैं, जो खच्चर बैंक खाते उपलब्ध कराते थे। राजनांदगांव एसपी मोहित गर्ग ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि आरोपी श्रेणिक ठगी की रकम हवाला और यूएसडीटी के जरिए कंबोडिया के अंतरराष्ट्रीय चीनी साइबर ठगों तक पहुंचाता था। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपियों द्वारा 80 से ज्यादा खाते उपलब्ध कराए गए थे म्यूल बैंक खाते का उपयोग भी पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
International cyber fraud: कंबोडिया से सीखा था ठगी का तरीका
उन्होंने बताया कि 23 जनवरी को राजनांदगांव शहर में च्वाइस सेंटर के संचालक रूपेश साहू ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया है। जांच में पता चला कि उसके खाते में 90 हजार रुपए जमा हुए थे, जो धोखाधड़ी का पैसा था। राजनांदगांव निवासी आशुतोष शर्मा ने धोखाधड़ी कर कहीं से 90 हजार रुपए की रकम मंगाई और उसका बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया है। प्रार्थी की सूचना पर पुलिस ने आरोपी आशुतोष शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया।
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पुलिस ने आरोपी आशुतोष शर्मा से कड़ाई से पूछताछ की तो उसने बताया कि गुजरात निवासी श्रेणिक उर्फ अजय मेहर के निर्देश पर आरोपी शुभम तिवारी निवासी डोंगरगढ़ और दीपक नरेडी व अन्य साथियों ने रूपेश साहू के खाते में पैसे जमा करवाए थे। जिसके बाद सायबर सेल राजनांदगांव की टीम ने आरोपी श्रेणिक कुमार संघवी को गुजरात के वलसाड से हिरासत में ले लिया। अजय मेहर बेहद शातिर बताया जा रहा है, जो अपनी पहचान छिपाने के लिए फर्जी नाम, नंबर और पहचान पत्र का इस्तेमाल करता था। पुलिस पूछताछ में आरोपी श्रेनिक ने बताया कि वह 2024 में कंबोडिया गया था और वहां के स्कैम कॉल सेंटरों में ठगी का तरीका सीखा। भारत लौटने के बाद उसने अपने साथियों की मदद से कई लोगों के बैंक खाते मंगवाए और उन्हें कंबोडिया भेजा, जिसके बदले में उसे ठगी की रकम का 8-9 फीसदी कमीशन मिलता था।
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