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निर्जला एकादशी का व्रत करने वाले को इन चीजों का करना चाहिए दान, मनोवांछित फल की होगी प्राप्ति

नई दिल्लीः निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से बाकी सभी एकादशी का पुण्य प्राप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। परन्तु इस बार एकादशी तिथि 10 और 11 जून दोनों दिन है एवं द्वादशी तिथि का लोप हो रहा है। मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत को रखने से मनुष्य के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। इस व्रत का विशेष पुण्य शास्त्रों में बताया गया है यही कारण है कि लोग इस एकादशी का वर्ष भर इंतजार करते हैं। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक जैसा की इसके नाम से ही ज्ञात होती है कि इस व्रत में जल का त्याग किया जाता है। निर्जला यानि बिना जल के, इस दिन व्रत रखने वाले जल ग्रहण नहीं करते हैं। इसी कारण इस एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। एकादशी व्रत रखने की परंपरा भारत में वर्षों से चली आ रही है। महाभारत काल में वेदव्यास ने भीम को इस व्रत की महिमा बताई थी।

ब्राह्मणों को कराया जाए भोज
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत सभी तीर्थों में स्नान करने के समान होता है। निर्जला एकादशी व्रत रखने से इंसान सभी पापों से मुक्ति पा जाता है। इस व्रत के रखने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जीवन से सभी दुख कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को रखने से मृत्यु भी व्यक्ति के समीप नहीं आ पाती। इस व्रत में गोदान, वस्त्र दान, फल व भोजन दान का काफी महत्व होता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को भोज कराना भी शुभ माना जाता है।

इन वस्तुओं का करें दान
पद्म पुराण में कहा गया है कि जो लोग जल से भरे हुए घड़े में शक्कर मिलाकर दान करते हैं। वह भगवान विष्णु के धाम में भगवान विष्णु के समीप रहकर आनंद की प्राप्ति करते हैं। जो लोग निर्जला एकादशी के दिन जूता दान करते हैं। वह सोने के विमान में बैठकर परमधाम को जाते हैं। निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, घड़ा, जूता, छाता, सोना, गाय, शैय्या, आसन और कमंडल इनका दान उत्तम ऋण बताया गया है। जो व्यक्ति ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन व्रत रखकर इन चीजों का दान करता है और रात्रि में जागरण करक भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन और जप करता है। वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और स्वयं तो उत्तम लोक में जाता ही है। साथ उसके पितर भी जो किसी पाप कर्म से नरक में होते हैं वह भी पाप मुक्त होकर स्वर्ग में स्थान पा जाते हैं।

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इनका खानपान में न करें प्रयोग
महर्षि व्यास ने निर्जला एकादशी का जो वर्णन पांडु पुत्र भीम से किया था। उसका वर्णन पद्म पुराण में किया है। इस पुराण में बताया गया है कि साल में जो 24 एकादशी होती है। उनमें ज्येष्ठ मास की एकादशी ऐसी है, जिसमें व्रत रखने मात्र से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है। निर्जला एकादशी के दिन चावल, नमक के अलावा बैंगन, मूली, प्याज, लहसुन और मसूर की दाल जैसे अशुद्ध चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत में इन चीजों का सेवन करने से व्रत भंग हो सकता है।

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