Savan 2024: 22 जुलाई को श्रवण नक्षत्र में प्रीति योग के संयोग में मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में श्रावण मास की शुरुआत होगी। इस बार श्रावण मास में दो तिथियों का क्षय होगा जिसकी वजह से ये महिना 29 दिनों का रहेगा और इसमें कुल पांच सोमवार पड़ेंगे। बता दें, इस पवित्र महिने की शुरुआत सोमवार के दिन से होगी और इसका समापन भी सोमवार के दिन ही होगा।
श्रावण महिने में बन रहे 6 खास योग
जानकारी देते हुए पंडित ज्योतिषाचार्य शैलेश शास्त्री ने बताया कि, श्रावण मास का आरंभ श्रवण नक्षत्र में हो रहा है। श्रवण नक्षत्र का परिभ्रमण काल इस दिन करीब 23 घंटे का रहेगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के नाम से महीनों के नाम तय किए गए है। इस दृष्टि से श्रवण नक्षत्र में श्रावण का आरंभ शुभ और भी कल्याणकारी माना जाता है। बता दें, यह नक्षत्र किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए उपयुक्त बताया गया है।
श्रावण मास का महत्व
श्रावण के महीने में सोमवार का विशेष महत्व होता है। ये महीना भगवान शिव की आराधना के लिए माना गया है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा आराधना करने से वो भक्त पर विशेष रुप से खुश होते है और भक्त को मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है। श्रवण नक्षत्र में सावन का आरंभ और श्रवण नक्षत्र में सोमवार का दिन विशेष रूप से फल देने वाला बताया जाता है। इस महीने में शिव कथा, लीला अमृत का पारायण, शिव महापुराण का पारायण, शिव स्तोत्र, और शिव कवच का पाठ कर महामृत्युंजय की साधना करने से मन बुद्धि शरीर का रोग दोष समाप्त होता है।
इस माह में होंगे खास योग-संयोग
इस बार श्रावण मास में पांच सर्वार्थ सिद्धि योग, एक अमृत सिद्धि योग और रवि पुष्य का विशेष संयोग रहेगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग संयोग का विशेष महत्व बताया जाता है। मान्यता है कि, इन योगों में भगवान शिव की विशेष आराधना कार्य की सिद्धि के साथ-साथ मनोवांछित फल प्रदान करती है। यही नहीं इन योगों के दौरान विशेष कार्य भी साधे जा सकते हैं।
ग्रहों के नक्षत्र में होंगे परिवर्तन
ज्योतिषाचार्य शास्त्री ने बताया कि, श्रावण मास में ग्रहों के नक्षत्रों में परिवर्तन होगा। मंगल ग्रह व गुरू रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे साथ ही शुक्र मघा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, वहीं सूर्य अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश करेगा।
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दान-पुण्य के लिए है ये खास महीना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करने के बाद यथा श्रद्धा यथा भक्ति सत्संग पारायण का भी लाभ लिया जा सकता है। मान्यता यह भी है कि, पारायण करने के बाद या सत्संग के बाद खड़े धान का दान करना चाहिए। साथ ही पशु को चारा और पक्षियों दाना देना चाहिए। यह एक विशेष अनुक्रम रहता है, जिसका निश्चित रुप से फल प्राप्त होता है।