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खाते खुलवाने में माहिर है नगर निगम, नगर आयुक्त की सक्रियता के बाद नजर में आई खामी

नगर निगम

लखनऊः नगर निगम के बजट का इतना विस्तार हो चुका है कि इसका आंकलन भी करना कठिन है। तमाम अधिकारियों ने अपने तरीके से अलग-अलग बैंकों में 180 खाते खुलवा रखे हैं। तमाम खाते तो ऐसे भी हैं, जो अब अस्तित्व में ही नहीं हैं। निगम के लिए यह गैर-जरूरी भी हो गए हैं। निगम के 180 खाते करीब 15 बैंकों के हैं और 50 से अधिक शाखाओं में रजिस्टर्ड हैं। अब एक-एक खाते की माॅनीटरिंग की जा रही है और गैर-जरूरी खातों को बंद करवाया जा रहा है।

नगर निगम में तीन साल पहले भी बैंक खातों को कम किया था। उस समय करीब 180 खाते थे और उनको कम करके 100 किया गया था। उसके बाद पिछले दो साल में फिर बैंक खातों की संख्या 180 पहुंच गई। इससे निगम का कोई फायदा तो नहीं है, लेकिन लेखा विभाग से लेकर ठेकेदारों को लाभ मिल जाता है। खातों में पड़े धन की जानकारी विभागीय उच्चाधिकारियों को मिलती रहती है। ऐसे में लेखा विभाग की मिलीभगत से खास ठेकेदारों को भुगतान करने में आसानी रहती है। लखनऊ नगर निगम में आठ जोन हैं। नगर निगम का काम-काज पूरा करने के लिए 32 खाते पर्याप्त हैं। अंदरखाने से पता चला है कि निगम ने 200 करोड़ रुपए के म्यूनिसिपल बॉन्ड जारी होने के मौके पर एक एस्क्रो अकाउंट खुलवाया था। पूर्व में भी कई नगर आयुक्त खाते बंद करा चुके हैं। ऐसा भी हुआ है कि जिस आयुक्त ने खाता बंद कराया, उसने जाते-जाते उससे अधिक खुलवा दिए। चर्चा है कि साल 2021 में नगर निगम ने दो निजी बैंकों में अपने 42 खाते बंद कराए थे।

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जानिए क्यों चर्चा में हैं खाते –

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने निगम में चल रही गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए कई प्रयोग किए है। इसी प्रक्रिया मेें ही लेखा विभाग को बैंक खातों की संख्या कम करने को कहा गया। जब बैलेंस की बात हुई, तो खातों का जिक्र आया, इस पर आयुक्त स्तब्ध रह गए। एक के बाद एक खातों का जिक्र आता गया, जिसके बाद नगर आयुक्त ने गैर-जरूरी खातों को बंद करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रिकाॅर्ड के लिए कम खाते ही उचित हैं। उदाहरण में गैर-जरूरी खातों में डिफेंस एक्सपो और समग्र विकास योजना हैं। डिफेंस एक्सपो तीन साल पहले शहर में हुआ था। खर्च का लेन-देन करने के लिए यह खाता खोला गया था, लेकिन ये आज भी चल रहा है जबकि अब इसका कोई प्रयोग नहीं हो रहा है। बिना इस खाते के भी एक्सपो हो सकता था। इसी तरह समग्र विकास योजना का खाता भी गैर-जरूरी है। सात साल से इसका प्रयोग ही नहीं किया गया है। सरकार ने योजना के दौरान इसे खुलवाया था। ऐसे ही जोन के भी खाते हैं।

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