तो बात दूर तलक जाएगी ही

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अन्ना हजारे का नाम लेते ही एक प्रखर तथा गंभीर समाजसेवी का चेहरा उभरकर सामने आता है। इस चेहरे को न सिर्फ महाराष्ट्र अपितु पूरे देश ने कई बार जनहित के मुद्दों पर अनशन, आंदोलन करते हुए देखा है, इसलिए अक्सर अन्ना हजारे का नाम सामने आने पर लोग यह मानकर चलते रहे हैं कि अन्ना हजारे ने अगर किसी जनहित के मुद्दे पर आंदोलन, अनशन करने की ठानी है तो वे पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन कृषि के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार की ओर लागू किए गए तीन नए कानून को रद्द करने की मांग को लेकर देश की राजधानी दिल्ली में जारी आंदोलन को समर्थन देते हुए अन्ना हजारे ने स्वयं आंदोलन करने की तैयारी तो की थी लेकिन उन्होंने ऐन वक्त पर अपना आंदोलन स्थगित करके बहुत से सवाला खड़े कर दिए हैं। कहा जा रहा है कि अन्ना हजारे ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कहने पर अपना अनशन स्थगित किया है। कुछ लोगों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के आग्रह पर अन्ना हजारे ने अपना अनशन स्थगित किया है।

कृषि कानून रद्द करने को लेकर राजधानी में हिंसक घटना होने से स्थिति तनावपूर्ण तो हुई ही, साथ ही विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में गणतंत्र दिवस पर अन्नदाताओं पर चली लाठियों का दर्द सदैव उन किसानों को सालता रहेगा। इस मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता वाली समिति में अन्ना हजारे मार्गदर्शन करेंगे। कहा जा रहा है कि छह माह में कृषि कानून में आवश्यक संशोधन करने के बाद किसानों संगठनों से उन पर सहमति ली जाएगी और उसके बाद इस बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। केंद्र सरकार की इस पहल के बाद अन्ना हजारे ने अपना अनशन स्थगित करने का निर्णय लिया। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की ओर से अमल में लाए गए तीन कृषि विधेयक को लेकर दो माह से भी ज्यादा समय से पंजाब तथा हरियाणा के किसान आंदोलन कर रहे है। 

गणतंत्र दिवस के मौके पर आंदोलन में शामिल कुछ उपद्रवी तत्वों ने जो हिंसा की, उससे पूरे विश्व में भारत की छबि धूमिल हुई है, इस परिस्थितियों में अन्ना हजारे की ओर ने अपना अनशन रद्द करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वे किसानों के समर्थन में अनशन करता चाहते थे, उपद्रवियों के लिए नहीं है। हालांकि अन्ना हजारे द्वारा 30 जनवरी का अपना अनशन स्थगित करके खुद को ही सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। उनके खिलाफ इस मुद्दे को लेकर आवाजें भी उठायी जा रही है। कभी देश की सेना में शामिल रहे अन्ना हजारे का नाम वर्तमान में वरिष्ठ समाजसेवी के रूप में दर्ज है, उनके प्रति न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में सम्मान है, ऐसे अगर उनके बारे में कोई यह कहे कि अन्ना हजारे अत्यंत अविश्वसनीय तथा मैनेज किए जाने वाले समाज सेवक हैं तो बात दूर तलक जाएगी ही, कृषि कानून रद्दीकरण के मुद्दे पर अपना अनशन वापस लेने की घोषणा करके अन्ना हजारे स्वयं ही उपहास का कारण बने हैं।


 एक दशक पहले 2011 में भी अन्ना हजारे ने अपना आंदोलन वापस लिया था। अन्ना हजारे महात्मा गांधी नहीं, ऐसी टिप्पणी नियोजन आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. भालचंद्र मुणगेकर ने की है। पुणे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान डॉ. मुणगेकर ने कहा कि किसान आंदोलन की पार्श्वभूमि में अन्ना हजारे ने अनशन करने की चेतावनी दी थी। भाजपा नेताओं ने आग्रह पर अन्ना हजारे ने अपना प्रास्तावित अनशन वापस ले लिया, इस मुद्दे पर डॉ. मुणगेकर ने अन्ना हजारे पर निशाना साधा है। डॉ. मुणगेकर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए समिति का गठन किया है तो ऐसे में अन्ना हजारे की ओर से उच्चस्तरीय समिति गठित करने की शर्त पर अपना अनशन वापस क्यों लिया, यह बात बहुत ही हास्यास्पद है। डॉ. मुणगेकर ने कहा कि वर्ष 2011 में भी अन्ना हजारे ने अपना आंदोलन वापस लिया उस वक्त भी अन्ना हजारे के फैसले का खुला विरोध किया गया था। कृषि तथा किसानों के हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर वरिष्ठ समाजसेवक अन्ना हजारे अहमदनगर जिले की पारनेर तहसील के आदर्श गांव रालेगांवसिद्धि, जो उनका (अन्ना हजारे) का गृहनगर भी हैं, में अन्ना हजारे 30 जनवरी को अनशन पर बैठने वाले थे, लेकिन कुछ केंद्रीय मंत्रियों के आग्रह पर अन्ना हजारे ने अपना अनशन स्थगित करने का ऐलान कर दिया। 

अन्ना हजारे ने 2019 में भी कृषि और किसान के मुद्दे लेकर आंदोलन किया था, उस समय केंद्र तथा राज्य सरकार की ओर ने जो आश्वासन दिए थे, उसकी पूर्ति को नहीं हुई, हां इतना जरूर हुआ कि भेजे गए पत्र का उत्तर भी संतोषजनक पद्धति से नहीं दिया गया। अन्ना हजारे इस बारे में लगातार बताते रहे हैं। यहां सवाल यह उठाया जा रहा है कि जब अन्ना हजारे को इस बात की जानकारी है कि केंद्र सरकार उनको तथा उनके आंदोलनों को महत्व नहीं देती फिर उन्होंने किसानों से जुड़े मुद्दों पर अनशन करने की तैयारी क्यों की थी। 29 जनवरी को शाम चार बजे केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने अन्ना हजारे के आदर्श गांव में रालेगणसिद्धि में जाकर अन्ना हजारे से अनशन न करने की अपील की। तीन घंटे की प्रदीर्ध चर्चा के बाद अन्ना हजारे ने अपना अनशन कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया।
 
अन्ना हजारे का कहना है कि उन्होंने अपना अनशन कुछ दिनों के लिए स्थगित जरूर किया है, लेकिन उन्होंने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी तथा महाराष्ट्र विधानसभा के विरोधी पक्ष नेता तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने 15 मुद्दे रखे और कहा कि छह माह की कालावधि में सरकार इस पर गंभीरता से चिंतन करें तथा समिति के माध्यम से उनका समाधान करे। अन्ना हजारे की ओर से रखे गए मुद्दों के बारे में देवेंद्र फडणवीस के यह खुलासा किया कि अन्ना हजारे की ओर से रखे गए मुद्दों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को अवगत करा दिया गया है और केंद्र सरकार उस पर गंभीरता से विचार कर रही है। फडणवीस ने इस दौरान यह भी जानकारी दी कि केंद्रीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता में स्थापित की गई उच्चाधिकार समिति का गठन करके इस मुद्दे का हल शीघ्रता से किया जाएगा। इस उच्चाधिकार समिति में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, नीति आयोग के अध्यक्ष के साथ-साथ किसान संगठनों को कुछ प्रतिनिधियों को स्थान दिया गया है। अन्ना हजारे इस समिति का मार्गदर्शन करेंगे। यहां सवाल यह उठाया जाया रहा है कि क्या उच्चाधिकार समिति अन्ना हजारे द्वार दिए गए सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगी या फिर अन्ना हजारे द्वारा दिए गए सुझाव को ध्यान में रखते हुए कोई नया रास्ता तलाशेगी। 

अन्ना हजारे की ओर से अनशन को कुछ कालावधि के लिए स्थगित करने तथा छह माह बाद किसानों की समस्याओं की समाधान होने की आस तो जगायी है, पर अन्ना हजारे क्या वास्तव में किसानों तथा सरकार के बीच की कड़ी बनकर वास्तव में संकटमोचक के रूप में उभरकर सामने आएंगे, अब सभी की निगाहें उसी ओर लगी हुई हैं। किसान आंदोलन में गणतंत्र दिवस के दिन जो कुछ भी हुआ उसके लिए शिवसेना सांसद संजय राऊत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को जिम्मेदार बताया है, जबकि समाजसेवी अन्ना हजारे केंद्र सरकार की ओर खड़े हैं, ऐसे में अन्ना हजारे केंद्र के साथ तथा संजय राऊत विरोधी पक्ष के रूप में सामने आए हैं। 

महाराष्ट्र के किसान पंजाब के किसानों को सर्मथन देने के लिए मुंबई में आए। हजारों किसानों ने राजभवन का धेराव किया। किसानों के नेता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी क ज्ञापन देने पहुंचे तो पता चला कि महामहिम राज्यपाल गोवा के दौरे पर पर हैं। आमतौर पर राज्यपाल की लोगों की समस्या सुलझाने के लिए स्वयं आगे आते रहते हैं, लेकिन हजारों किसान जब स्वयं अपनी समस्याएं लेकर राजभवन पहुंचे तो राज्यपाल महोदय के गोवा जाने की खबर मिली, ऐसी स्थिति में किसानों की हितों की चिंता कौन करेगा, ऐसा सवाल सर्वत्र उठाया जा रहा है। राज्यपाल से मुलाकात न होने तथा प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री का कृषि विधेयकों तो अमल में लाने की जिद्द के बीच अन्ना हजारे की ओर से अपने अनशन को कुछ दिनों के लिए स्थगित किए जाने से इस बात का खुलासा हो गया है कि केंद्र सरकार के सहयोग के बगैर किसानों के हित नहीं हो सकता, ऐसे सुलह, समझौता तथा बातचीत के माध्यम से किसानों को केंद्र सरकार से गुजारिश करनी होगी कि वह तीनो कृषि कानूनों पर सकारात्मक विचार करे। 

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छह माह बाद अन्ना हजारे क्या फिर किसानों के लिए अनशन पर बैठेंगे, यह सवाल अन्ना हजारे से अभी भी पूछा जाने लगा है, हालांकि अन्ना ने अभी इस सवाल का जबाव नहीं दिया है, अगर छह माह बाद फिर अन्ना हजारे किसानों के समर्थन में अनशन पर नहीं बैठे तो फिर उन पर किया जाने वाला यह कटाक्ष कि अन्ना अविश्वसनीय तथा मैनेज होने वाले समाजसेवक है, पूरी तरह से सच साबित हो जाएगा। 

सुधीर जोशी (महाराष्ट्र)