मौसम ने कहर ने किसानों को बना दिया कंगाल, खेतों में गेहूं की फसल गिरने से सड़ने लगी फसल

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लखनऊः खेतों में खड़ी फसल को काटकर घर ले जाने के समय बिगड़े मौसम के मिजाज ने किसानों के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया है। पिछले हफ्ते 20, 21 व 22 मार्च को हुई बारिश के साथ गिरे ओलों ने खेतों में तैयार फसलों को पूरी तरह चैपट कर दिया और अब किसानों की आंखों से खून के आंसू टपक रहे हैं।

कुछ दिनों बाद जिस गेहूं की फसल को काटने की तैयारी हो रही थी, वह अब पूरी तरह से जमींदोज हो गई है। आम के बागों में अमिया यूं बिखरीं, जैसे पेड़ों की टहनियों पर लाठियां बरसाई गई हों। अपने हाथों से खेतों में बिजाई करने वाले बटाई किसानों की आंखों से आंसुओं की धारा रूकने का नाम नही ले रही है। किसानों को ढांढस बंधाने के लिए वैज्ञानिक लगातार उनके संपर्क में हैं। बख्शी का तालाब, माल, मलिहाबाद और इटौंजा में फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गईं हैं। इस भयावहता की खबरें पहले लखनऊ से बाहर की थीं, लेकिन मंगलवार 21 मार्च को प्रकृति ने यहां भी अपना रौद्र रूप दिखा दिया। वैसे तो कई स्थानों पर सोमवार को ही तेज हवा के साथ बारिश के कारण गेहूं और सरसों की फसलें गिर गईं थीं। किसान इससे उबरने की कोशिश में जुटा ही था कि मंगलवार को दोबारा मौसम ने करवट बदली और इस बार तो बची-खुची फसल भी पूरी तरह तबाह हो गई।

मलिहाबाद में तेज हवा के साथ बारिश हुई और यहां ओले ऐसे गिरे, मानों जमीन पर सफेद चादर बिछाई गई हो। माल और मलिहाबाद में बड़े पैमाने पर आम होता है। जो किसान या बागवान आम के सहारे जीवन-यापन करते हैं, वह बेहद उदास हैं। माना जा रहा है कि यदि आगे ऐसी ही विपदा का सामना करना पड़ा, तो लोग आम के लिए इस सीजन में तरस जाएंगे। यही हाल गेहूं की फसल का भी है। एक बीघा खेत में करीब पांच किं्वटल गेहूं होता है, लेकिन इस बार उत्पादन आधा रह जाएगा। कुछ किसानों ने टमाटर हाल में ही बोए थे। इन पौधों में सड़न हो सकती है। इटौंजा और बख्शी का तालाब में बड़े पैमाने पर लोग खेती करते हैं। यहां टमाटर खेतों में तैयार था। लखनऊ की तमाम मंडियां इन पर निर्भर रहती हैं। ओले गिरने से काफी टमाटर नष्ट हो चुके हैं। किसानों का इससे काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में अब आने वाले दिनों में इसके दाम आसमान छूने वाले हैं।

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अगेती सरसों का फायदा किसानों ने होली के दौरान ही ले लिया था, लेकिन पिछेती सरसों बारिश और ओले वाले स्थानों में अब दम तोड़ रहा है। फूल तो दिखाई पड़ना दूर, पौधे ही धराशाई हो गए। चना, मटर और मसूर की ज्यादातर कटाई हो चुकी थी, नहीं तो इन फसलों पर भी बुरा असर पड़ सकता था। गेहंू की फसल करीब 70 फीसदी तक प्रभावित हो सकती है। आम पर भी इतना ही नुकसान होने की संभावना है। किसान वैज्ञानिक सत्येंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि लतावर्गीय सब्जियां भी काफी नष्ट हो चुकी हैं। तमाम किसानों ने लोगों से बटाई पर खेत ले रखे हैं। उन्हें खेत मालिक को भी आधी फसल देनी रहती है। ऐसे ठेके या बटाई वाले किसान काफी मायूस हैं। उनकी चिंता है कि काश्तकार को वह इकरार वाला अनाज कहां से लाकर दें।

किसान लें हिम्मत से काम –

चंद्र गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डाॅ. सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना है कि प्रकृति के सामने किसी की नहीं चलती है। आंधी, पानी और ओले किसानों की खुशियां ले गए। किसानों को तमाम विपरीत परिस्थितियों का सामना करना होगा। मौसम साफ होने पर अगली फसल मूंग, उड़द और मक्का की बुवाई करें। खेतों में नमी रहने से सिंचाई नहीं करनी पड़ेगी। ऐसा लाभ लेने से नहीं चूके, तो आने वाला समय किसानों के लिए फायदे का होगा।

– शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

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