Home उत्तर प्रदेश स्मार्ट मीटर की छिपाई गई रिपोर्ट का सच अब आया सामने

स्मार्ट मीटर की छिपाई गई रिपोर्ट का सच अब आया सामने

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लखनऊः बीते दिनों राजधानी में बिजली कड़कने से बंद हुए हजारों स्मार्ट मीटर को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। ईईएसएल के स्मार्ट मीटरों की छिपाई गई रिपोर्ट का भी सच सामने आया है। वर्ष 2019 में पावर कॉर्पोरेशन के अफसरों द्वारा एक ऐसी रिपोर्ट छिपाई गई, जो स्मार्ट मीटरों के बंद होने की सबसे बड़ी वजह बन रही है।

सूत्रों की मानें तो यह रिपोर्ट स्मार्ट मीटर के स्पार्क टेस्ट की थी। इस टेस्ट को स्पार्क मीटर पास नहीं कर पाए थे, बावजूद इसके लिए प्रदेश में बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटर लगाए गए। इसकी वजह यह रही कि अगर यह रिपोर्ट सामने आ जाती, तो ईईएसएल के स्मार्ट मीटरों को प्रदेश में लगाने से मना हो जाता है। इसके चलते ही कॉर्पोरेशन के अफसरों ने इस रिपोर्ट को दबा दिया और इसे बाहर ही नहीं आने दिया। इस टेस्ट को पास न कर पाने वाले स्मार्ट मीटर आकाशीय बिजली कड़कने से बंद हो गए। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में प्रदेश समेत कई राज्यों में जब स्मार्ट मीटर लगाने का काम ईईएसएल को मिला, तो मीटरों को लेकर सवाल खड़े होने लगे। गंभीर आरोप लगा कि ईईएसएल के स्मार्ट मीटर क्वॉलिटी टेस्ट में फेल हो जाते हैं।

मीटर डाटा मैनेजमेंट सिस्टम मानक के अनुरूप नहीं हैं। मीटर पर डिमांड अचानक बढने पर अलार्म बजना चाहिए, लेकिन ईईएसएल के मीटर में अलार्म नहीं बजता है। ईईएसएल ने इस सिस्टम को ही मीटर से ही हटा दिया। ऐसे में अगर मीटर में रीडिंग जम्प करती है, तो इसकी शिकायत भी उपभोक्ता नहीं कर सकता है। खास बात यह है कि ईईएसएल स्मार्ट मीटर के हाई वोल्टेज डिस्चार्ज यानी स्पार्क टेस्ट कराने को ही तैयार नहीं था। हालांकि, तत्कालीन ऊर्जा मंत्री की सख्ती के बाद यह टेस्ट तो कराया गया लेकिन इसकी रिपोर्ट की भनक तक किसी को नहीं लगी।

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विभागीय अफसरों की मानें तो स्पार्क टेस्ट के लिए कमेटी बनाई गई और इसकी जांच भी हुई लेकिन जांच में मीटर फेल हो गए। मीटरों पर जब हाईवोल्टेज डाला गया, तो कुछ मीटरों की रीडिंग और लोड बदल गए, वहीं कुछ बंद भी हो गए। जिसके बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर मैनेजमेंट को सौंप दी। हालांकि, तत्कालीन मैनेजमेंट के दबाव में रिपोर्ट बाहर नहीं आ सकी। इससे ईईएसएल को आसानी हो गई और प्रदेश में 12 लाख स्मार्ट मीटर लगा दिए गए। बिजली कड़कने से बंद हुए स्मार्ट मीटरों का यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व वर्ष 2019 में प्रयागराज में भी इसी प्रकार से बिजली कड़कने से दर्जनों स्मार्ट मीटर बंद हो गए थे। उस दौरान आनन-फानन में मीटरों को बदलकर मामला दबा दिया गया था। हालांकि, इस बार मामला नहीं दब पाया। इसकी वजह यह है कि ईईएसएल के पास खराब मीटरों को बदलने के लिए अतिरिक्त स्मार्ट मीटर है ही नहीं। अब जो मीटर खराब हुए हैं, उनकी जगह सामान्य मीटर लगाए जा रहे हैं।

स्मार्ट मीटरों की फिर होगी जांच

बिजली कड़कने से बंद हुए स्मार्ट मीटरों की जांच फिर से होगी। मीटरों के बंद होने के कारणों की जांच के लिए शक्ति भवन से कमेटी गठित की गयी है। यह दूसरी बार होगा, जब स्मार्ट मीटर की गड़बड़ियों की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। सिर्फ लेसा में ही 2,000 से अधिक स्मार्ट मीटर बंद पड़े हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस बार कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी और स्मार्ट मीटर की गड़बड़ियों को समझने में आसानी होगी। अभियंता स्मार्ट मीटरों के बंद होने के पीछे यह तर्क दे रहे हैं कि बिजली कड़कने से स्मार्ट मीटरों की नेटवर्किंग में कुछ दिक्कतें आईं, जिससे मीटर बंद हो गए। हालांकि, हकीकत यह है कि स्पार्क टेस्ट पास न करने के चलते मीटर बंद हुए। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के तय मानकों के अनुसार सभी मीटरों का स्पार्क टेस्ट अनिवार्य है।

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