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अंधेरे में डूबी राजधानी की सड़कें, नींद में जिम्मेदार

आईपीके, लखनऊः राजधानी में सफाई के मोर्चे पर स्थिति सुधार रहे नगर निगम के मार्ग प्रकाश विभाग की लापरवाही लोगों के लिए सिरदर्द बन गई है। महीनों से खराब पड़ी लाइटों के दुरूस्त न होने की वजह से शहर की अधिकतर गलियां शाम होते ही अंधेरे में डूब जाती हैं। ऐसे में लोग इन गलियों से गुजरने से भी कतराते हैं।

शहर में स्ट्रीट लाइटों के मेंटेनेंस और जलाने-बुझाने की जिम्मेदारी ईईएसएल कंपनी की है, लेकिन कर्मचारी जमकर लापरवाही कर रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि कंपनी की जगह नगर निगम को खुद लाइटों की मेंटेनेंस के साथ उन्हें जलाना-बुझाना भी पड़ रहा है। इसके अलावा शहर की अधिकतर गलियों में स्ट्रीट लाइटें महीनों से खराब पड़ी हुई हैं, लेकिन तमाम शिकायतों के बाद भी उनकी मरम्मत नही हो पा रही है। ऐसे में शाम होते ही ये गलियां अंधेरे में डूब जाती हैं।

इस समय कोहरे की वजह से 50 मीटर की दूरी तक भी देखना संभव नही होता है और स्ट्रीट लाइटें न जलने से लोग दुर्घटना का भी शिकार हो रहे हैं। चैंकाने वाली बात यही भी है कि कंट्रोल रूम पर 60-75 फीसदी शिकायतें स्ट्रीट लाइटों की खराबी या अंधेरे में डूबी सड़कों की ही आ रही हैं। शहर के शहीद पथ पर लगी स्ट्रीट लाइटें भी आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर खराब पड़ी हुई हैं, लेकिन इनकी सुधि लेने वाला कोई नही है। ऐसे में आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि अन्य स्थानों की क्या स्थिति होगी ? अलीगंज में बेलीगारद चैराहे से लेकर संगम चैराहे तक घुप्प अंधेरा छाया रहता है, लोग इस सड़क से गुजरने में भी कतराते हैं। कुछ ऐसा ही हाल अलीगंज मार्ग से कपूरथला मार्ग का भी हैं।

इन इलाकों में हैं सबसे ज्यादा शिकायतें

कंट्रोल रूम में सबसे ज्यादा शिकायतें इंदिरा नगर, साउथ सिटी, गोमती नगर, अलीगंज, चौक, आलमबाग, लोहियापथ, कैसरबाग और आस-पास के इलाकों की हैं। लोगों का कहना है कि शिकायतों के बाद कर्मचारी उसे कागजों में निस्तारित कर देते हैं, यदि निस्तारित की गई शिकायतों पर फीडबैक लिया जाए तो इनकी पोल खुल जाएगी।

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नगर निगम ने ठहराया कंपनी को जिम्मेदार

नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि स्ट्रीट लाइट की सम्पूर्ण जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था ईईएसएल की है। स्ट्रीट लाइटें जलाने और बुझाने का कार्य और मार्ग प्रकाश व्यवस्था दुरूस्त रहे, इसकी जिम्मेदारी कंपनी के कर्मचारियों के जिम्मे है। कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते यह स्थिति है। उनका कहना है कि स्ट्रीट लाइट की जिम्मेदारी भी नगर निगम के कर्मचारी ही उठा रहे हैं। कार्यदायी एजेंसी के करीब 300 कर्मचारियों पर करीब 22 लाख से अधिक खर्च नगर निगम कर रहा है।