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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को है समर्पित, जानें माता का स्वरूप, मंत्र और आरती

maa-katyanyani-chaitra-navratri-2023 नई दिल्लीः वासंतिक नवरात्रि के छठें दिन मां दुर्गा के षष्ठम स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा का विधान है। पांचवें दिन रविवार को मां स्कंदमाता की आराधना की गयी। महर्षि कात्यायन द्वारा सर्वप्रथम पूजे जाने के कारण देवी दुर्गा के इस स्वरूप का नाम देवी कात्यायनी पड़ा। महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में कात्यायनी पैदा हुई थीं। महर्षि ने इनका पालन-पोषण किया था।

अमोद्य फलदायिनी हैं मां कात्यायनी

देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं। इनकी पूजा अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है। मां कात्यायनी दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है। इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने पर उसे सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है।

मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं। इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है। अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है।

विवाह के लिये कात्यायनी मंत्र

जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो, उन्हें नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की विषेष उपासना करनी चाहिए। मां कात्यायनी की उपासना से कुंवारी कन्याओं को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जप जरूर करें। ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥ ये भी पढ़ें..Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन इस मंत्र का जरूर करें जप, मनोकामना पूर्ण करेंगी मां स्कंदमाता

देवी कात्यायनी का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

देवी कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी। बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा। कई नाम हैं, कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है। हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी। हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते। कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की। झूठे मोह से छुड़ाने वाली। अपना नाम जपाने वाली। बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो। हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी। जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)